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रंग सारे खिल गए…

रंग सारे खिल गए,ख़ुशियों का मौसम छा गया
बन के कोई रुत बसंती ज़िंदगी मे आ गया,

छुप के इक मासूम लड़के का मुझे यूँ देखना
मैं ने जब चोरी पकड़ ली, वह बहोत घबरा गया

खो गया था प्रेम की गलियीं में ही मेरा दिमाग़
मैं भी क्या करती बेचारा दिल ही धोखा खा गया


कौन अपना है पराया कौन है इस दौर में
हर बुरा, अच्छा समय ,सब कुछ मुझे समझा गया
अंकिता मैं तो उसे मासूम समझी थी मगर
झांक कर आँखों मे मेरी, हाल ए दिल बतला गया
अंकिता सिन्हा

