यूनाइटेड फोरम फॉर पीस एंड जस्टिस का हुआ गठन
मणिपुर, यूसीसी व जनहित मुद्दों पर सरकार और जनता में करेगा समन्वय
जमशेदपुर। मणिपुर राज्य में पिछले दो महीने से चल रही जातीय हिंसा एवं समान नागरिक संहिता को लेकर आम नागरिकों के बीच बनी संशय की स्थिति से उन्हें उबारने के लिए शहर के प्रबुद्ध लोगों ने यूनाइटेड फोरम फॉर पीस एंड जस्टिस का गठन किया है और इसे विस्तारित रूप देने की कोशिश होगी।
फादर एल्विन की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी ने समवेत स्वर में इसके गठन के औचित्य एवं आवश्यकता पर बल दिया। सभी वक्ता इस बिंदु पर एकमत रहे कि आम नागरिकों की भावनाओं, मुद्दों को सरकार शासन प्रशासन एवं विभिन्न राजनीतिक दलों तक पहुंचाने के लिए एक पुल की जरूरत है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इसे विस्तृत रूप देने पर भी बल दिया गया।
सभी वक्ताओं का यह भी कहना रहा कि हर धर्म पंथ सभ्य समाज मणिपुर जैसी घटनाओं को निंदनीय बताएगा और इसे मानवीय कलंक की संज्ञा देगा। मणिपुर ही क्यों देश के किसी भी हिस्से में जातीय धर्म नस्ल भाषा के आधार पर बढ़ते वैमनस्य में नारी और बच्चे को दुश्मनी का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए। इसे लेकर फोरम ने बुधवार को महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, झारखण्ड के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को जिला उपायुक्त के माध्यम से मेमोरेंडम भेजने का फैसला किया है।
वही समान नागरिक संहिता को लेकर संशय की स्थिति से निपटने के लिए कानूनविदों एवं धर्म प्रमुखों की सेमिनार करने का भी फैसला लिया गया है। जिससे लोगों को वस्तुस्थिति का जानकारी हो और वह किसी नतीजे पर पहुंच सके।
रविवार को हुई बैठक में सुमित राय, रेयाज शरीफ, सुमित कर, कुलविंदर सिंह, डेमका सोय, काजी सऊद आलम, मदन मोहन, अब्राहम एसी, समीर एक्का, गणेशराम, रविंद्र प्रसाद, सुबोध रविदास, निशाद अहमद आदि ने विचार रखे।
फादर विंसेंट डेविड, फादर जेरी डिसूजा, फ्लोरेंस बेक, भोला रविदास, फादर एलेक्स केरकेट्टा, अनवर हुसैन एवं अन्य उपस्थित थे।