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अपनी शंका को बिना किसी प्रमाण के सच मान लेना सबसे बड़ी गलती : श्रीराम मोहन

जमशेदपुर। साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीश्री बालाजी महाराज का अखंड सवालाख हनुमान चालीसा पाठ के क्रम में श्रीराम हनुमत कथा के दूसरे दिन सोमवार को व्यासपीठ से कथा वाचक परम श्रद्धेय श्रीराम मोहन महाराज ने सती चरित्र और शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि श्रद्धा और विश्वास किसी भी रिश्ते के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ पूंजी हैं। शिव-पार्वती विवाह को श्रद्धा और विश्वास का मिलन (“भवानी शंकरौ वन्दे, श्रद्धा विश्वास रूपिणौ”) बताते हुए महाराज जी ने आगे कहा कि जीवन में शंका होना गलत नहीं, लेकिन अपनी शंका को बिना किसी प्रमाण के सच मान लेना सबसे बड़ी गलती हैं। इससे परिवार और संसार दोनों बिखर जाता हैं। उन्होंने कहा कि जीवन के अंत में राम नाम सत्य हैं इससे सबको नाता जोड़ना ही हैं तो क्यांे नहीं अभी से ही जोड़ लें और राम नाम के आधार पर अपने जीवन में सत्य धर्म और न्याय को प्रतिपादित करें। श्री नरसिंह बांध बालाजी धाम, टाटानगर शाखा द्धारा परमश्रद्धेय संतोष भाई (बर्नपुर) के सानिध्य में रोजाना की तरह आज भी सुबह शाम बालाजी की पूजन के बाद आरती, हनुमान चालीसा पाठ और श्रीराम हनुमतं कथा में काफी भक्तगण शामिल हुए। परमश्रद्धेय संतोष भाई और श्रीराम मोहन महाराज ने बताया कि मंगलवार को सूतक के दौरान भी हनुमान चालीसा पाठ जारी रहेगा। चन्द्र ग्रहण का समय खत्म होने के बाद मंगलवार की रात्रि 8.30 बजे अखंड सवा लाख हनुमान चालीसा पाठ के अंतर्गत दरबार में देव दिवाली महोत्सव का आयोजन होगा। 21000 (इक्कीस हज़ार) दीपकों को प्रज्जलवित किया जायेगा। अब तक सातों दिन कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख रूप से ओमप्रकाश रिंगसिया, सुरेश सोंथालिया, रमेश्वर भालोटिया, शंभू दयाल अग्रवाल, कृष्णा अग्रवाल, सांवरमल अग्रवाल, महेश सोंथालिया, विष्णु अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल आदि का योगदान रहा हैं।

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