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मुख्यमंत्री चंपई सोरेन चुनावी घोषणापत्र के आधार पर लैंड बैंक को रद्द करेःशनि सिंकु

संतोष वर्मा

चाईबासा।मुख्यमंत्री चंपई सोरेन चुनावी घोषणापत्र के आधार पर लैंड बैंक को रद्द करे क्योंकि 2019 की झारखंड विधानसभा चुनाव के समय चुनाव पूर्व महागठबंधन के सत्ता में आते ही लैंड बैंक को रद्द करने की घोषणा किया था। अब मुख्यमंत्री लैंड बैंक को रद्द नहीं कर एस ओ पी गठन करने की निर्देश देकर झारखंडियों के साथ वादा खिलापी कर रहे हैं। यह प्रतिक्रिया झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने दी है।विदित हो 13 मई 2016 को तत्कालीन रघुवर दास की सरकार के कार्यकाल में झारखंडियों की खूंटकट्टी सामुदायिक जमीन को अवैध जमाबंदी घोषित कर रद्द करने की अधिसूचना जारी किया गया था। उसके बाद तत्कालीन सरकार ने झार भूमि वेबसाइट में झारखंडियों की सामुदायिक जमीन को लैंड बैंक में जमा कर दिया था। उसके बाद देश दुनिया के बड़े बड़े पूंजीपतियों को अधोग धंधा लगाने के लिए लैंड बैंक के द्वारा जमीन को जरूरत के आधार पर ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया अपनाने की घोषणा किया था। जिसके लिए रांची में झारखंड सम्मिट का आयोजन कर हाथी को उड़ते हुए दर्शाया गया था।झारखंडियों की सामुदायिक जमीन को अवैध जमाबंदी घोषित कर रद्द करना असंवैधानिक था। कयोंकि झारखंडियों ने झाड़,जंगल को साफ कर गांव बसाया,खेती करने योग्य जमीन तैयार किया। जिसे 1913 से 1918 के बीच कोल्हान में हुई टाकी सेटलमेंट को खूंटकट्टी सेटलमेंट कहा गया। यानी गांव बसाने के बाद और खेती करने योग्य जमीन तैयार करने के बाद इसलिए प्रत्येक गांव में परती भूमि छोड़ दिया गया था। ताकि गांव में मवेशी चराने के लिए सामुदायिक जमीन सुरक्षित रहे। अखड़ा और गोट के लिए जमीन सुरक्षित रहे। जहेरथन , मासना,सरना, देशाउली के लिए जमीन को सुरक्षित रखना था। लेकिन श्री रघुवर दास के सरकार में झारखंडियों की सामुदायिक जमीन को असंवैधानिक रूप से रद्द कर दिया गया। जिसका विरोध चुनाव के पहले झामुमो,कांग्रेस ने भी किया था।और 2019 के विधानसभा चुनाव के समय झामुमो के घोषणापत्र में जारी किया गया था कि महागठबंधन की सरकार सत्तासीन होती है तो प्राथमिकता के आधार पर लैंड बैंक को रद्द करने का काम करेगी। महागठबंधन की सरकार बनी और अब सरकार का अंतिम वर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री भी बदल गए । नए मुख्यमंत्री श्री चंपई सोरेन ने आज अपना प्रतिक्रिया में लैंड बैंक को रद्द नहीं कर एस ओ पी गठन करने का निर्देश जारी कर रहे है। चंपई सोरेन की सरकार भी झारखंडियों के साथ वादाखिलाफी ही कर रही है।

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