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नीतीश कुमार -आनंद मोहन रिहाई केस बिहार की जाति गणित तेजस्वी का गुजराती ठग रिमार्क्स करने का मुद्दा

राजेश कुमार झा
पटना । ‘विपक्ष जोड़ो’ अभियान में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ‘CATव्यूह’ का भी सामना कर रहे हैं। जातीय गणना, आनंद मोहन रिहाई और तेजस्वी यादव से जुड़े मामले कोर्ट में चल रहे हैं। इन तीनों फैसलों का असर नीतीश सरकार पर पड़नी तय है। जातीय गणना और आनंद मोहन रिहाई मामले तो सीधे-सीधे नीतीश सरकार के फैसले को चुनौती है। जबकि तेजस्वी से जुड़ा मामला राहुल गांधी (Rahul Gandhi) केस की तरह है, जिसमें कांग्रेस के सीनियर नेता को लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी। अगर तीनों केस में कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आया तो बिहार की सियासत में भूचाल आ सकता है।

CATव्यूह’ भी किसी चुनौती से कम नहीं

जातीय गणना, आनंद मोहन रिहाई और तेजस्वी मामले पर कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आया तो सियासी तस्वीर बदल जाएगी। 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकजुटता में जुटे नीतीश कुमार के सामने ‘CATव्यूह’ भी किसी चुनौती से कम नहीं है। जातीय गणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में तीन जुलाई को सुनवाई होगी। जबकि आनंद मोहन रिहाई मामले के खिलाफ दाखिल याचिका पर 8 अगस्त को अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी। वहीं, तेजस्वी के गुजराती रिमार्क्स केस में अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने 12 जून को एक बार फिर केस का पन्ना खुलेगा।

1. जातीय आधारित गणना केस

बिहार की सभी पार्टियों ने जाति आधारित गणना कराने का समर्थन किया था। हालांकि, बाद में राजनीतिक कारणों से बीजेपी इसका विरोध करने लगी। 500 करोड़ के बजट एलॉटमेंट के साथ कास्ट काउंटिंग का काम फाइनल स्टेज में चल ही रहा था कि कोर्ट के चक्कर में फंस गया। 4 मई 2023 से पूरी तरह ठप हो चुका है। जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक सरकार की गर्दन फंसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट से भी बिहार सरकार को राहत नहीं मिली। खास बात ये कि जातीय गणना का काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस सर्वे में कुछ ऐसी चीजें भी शामिल की गई है, जिसका अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है।वैसे, आमलोगों को जाति आधारित गणना का कितना फायदा होगा, तत्काल इसे कहना मुश्किल हैं। मगर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इसका सियासी लाभ जरूर मिलेगा। कास्ट काउंटिंग के मकसदों में जातीय गोलबंदी भी शामिल है। ताकि 2023 लोकसभा चुनाव से पहले मंडल और कमंडल की राजनीति को और धार दिया जा सके।

2. आनंद मोहन रिहाई मामला

अपने ही बनाए कानून में संशोधन कर नीतीश सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई सुनिश्चित की। IAS कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे थे। इसी के खिलाफ कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। परिहार कानून में संशोधन को चुनौती दी गई है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार के साथ ही आनंद मोहन से जवाब तलब किया है। अगर राज्य सरकार के खिलाफ फैसला आया तो नोटिफिकेशन रद्द हो जाएगा। ऐसे में आनंद मोहन को फिर से जेल जाना होगा। ऐसा हुआ तो नीतीश सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा। हालांकि ये सबकुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। इस मामले में 8 अगस्त 2023 को सुनवाई होगी।

इस मामले को लेकर परसेप्शन ये है कि आरजेडी के पास कोई बड़ा राजपूत नेता नहीं बचा है। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी के विधायक हैं। राजपूत वोटबैंक को साधने के लिए आनंद मोहन बिल्कुल फिट बैठते हैं। ऐसे में सियासी माइलेज लेने के लिए आरजेडी के कहने पर नीतीश सरकार ने ये फैसला लिया।

3. तेजस्वी का ‘गुजराती ठग’ रिमार्क्स मुद्दा

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लिए 21 मार्च 2023 का दिन ठीक नहीं रहा। बोलते-बोलते कुछ ऐसा बोल गए कि अब गले की फांस बन गया है। उन्होंने कहा था कि ‘दो ठग हैं ना, जो ठग हैं। आज के हालात में देखा जाए तो सिर्फ गुजराती ही ठग हो सकते हैं। और उनकी ठगी को माफ किया जाएगा। एलआईसी का पैसा, बैंक का पैसा लेकर अगर फिर भाग जाएगा तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? अगर ये भाजपाई ही भाग जाएं तो क्या होगा? आप सभी जानते हैं कि इन लोगों के कितने दोस्त, यार हैं जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं। लेकिन इनके लिए तो ‘तोता’ (CBI) नहीं निकलता है।’ इसमें ‘गुजराती ही ठग हो सकते हैं’ वाली बात अहमदाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता और कारोबारी हरेश मेहता को चुभ गई। मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में 26 अप्रैल को IPC की धारा-499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत मामला दर्ज करा दिया। उन्होंने तेजस्वी के बयान को गुजरातियों का अपमान बताया।

तेजस्वी की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ सकती है कि इसी तरह के एक मामले में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से सजा हुई और लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी। 2019 लोकसभा चुनाव के वक्त राहुल गांधी ने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य का नाम लेते हुए कहा था कि कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है? दरअसल, जाति, धर्म या वर्ग पर कमेंट करने का अधिकार किसी को नहीं है। कानून के हिसाब से ये अपराध है। सरकार में नंबर-2 और नीतीश-लालू के ‘भविष्य’ के खिलाफ फैसला आया तो सबकुछ बिखर सकता है।

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