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‘माफ करें..’, SC ने फ्लाईओवर बनाने वाली कंपनी के निदेशक को नहीं दी जमानत

राजेश कुमार झा
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक निजी कंपनी के निदेशकों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें अहमदाबाद में एक फ्लाईओवर के निर्माण के संबंध में दर्ज मामले में आरोपी बनाया गया है. घटिया सामग्री के कथित उपयोग के कारण पुल को हुए नुकसान के मद्देनजर उसे सार्वजनिक इस्तेमाल के लिये बंद कर दिया गया है. कोर्ट ने हटकेश्वर में एक बस टर्मिनल के पास फ्लाईओवर का निर्माण करने वाली कंपनी के चार निदेशकों द्वारा गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई थी. जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अवकाशकालीन बेंच ने कहा, “यह अग्रिम जमानत लायक मामला नहीं है. चार साल के अंदर आपका पुल ढह जाएगा. माफ करें.” इस मामले में अप्रैल 2023 में 406 (आपराधिक विश्वासघात के लिए सजा) और 420 (धोखाधड़ी) सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय कथित अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

घटिया निर्माण सामग्री से बने फ्लाईओवर को बंद करना पड़ा था
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कंपनी ने फ्लाईओवर के निर्माण के लिए निविदा प्राप्त की थी और कथित तौर पर घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल किया था जिससे इसे गंभीर नुकसान पहुंचा था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि फ्लाईओवर को 2017 में उपयोग के लिए चालू किया गया था और चार-पांच वर्षों की अवधि के भीतर ही नुकसान के कारण इसे जनता के लिए बंद करना जरूरी हो गया. इन निदेशकों ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि फ्लाईओवर का डिजाइन ‘मल्टी एक्सल’ उच्च भार वाहनों के योग्य नहीं है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने दिए तर्क
उन्होंने कहा कि लगभग तीन साल तक ऐसे वाहनों के इस्तेमाल से नुकसान हुआ है. शीर्ष अदालत के समक्ष जिरह के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि पुल नवंबर 2017 में बनकर तैयार हुआ था. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने पुल पर बहुत भारी यातायात की अनुमति दी और मल्टी एक्सल भारी वाहनों के चलने के कारण फ्लाईओवर का ढांचा क्षतिग्रस्त हो गया.

अग्रिम जमानत के लिए किया गया अनुरोध, पीठ ने खारिज कर दी दलील
रोहतगी ने कहा, “मैं (फर्म के निदेशक) अग्रिम जमानत के लिए अनुरोध कर रहा हूं. कोई जान नहीं गई है, कुछ नहीं हुआ है. मेरी कार्य दायित्व अवधि भी समाप्त हो गई है. अगर वे चाहें तो मैं अब भी इसे ठीक करने को तैयार हूं, इसमें कोई समस्या नहीं है. मेरी ओर से कोई कमी नहीं है.” उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह अग्रिम जमानत देने की इच्छुक नहीं है.

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