महिलाओं के मानवधिकार पर सरकार गंभीर नही : मनोज मिश्रा
जमशेदपुर। देश मे महिलाओ की सुरक्षा एवं मानवाधिकार को लेकर सरकार गंभीर नही है | महिला साशक्तिकरण की बातें करने वाली सरकार महिलाओं के अधिकार को लेकर सक्रिय नही दिखाई देती है । उक्त बातें झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के चेयरमेन मनोज मिश्रा ने मानगो बैकुंठ नगर मे आयोजित एक बैठक मे कही । उन्होने बताया कि 2022 मे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में भारत में महिलाओं के खिलाफ रजिस्टर्ड अपराधों में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है.जहां 2022 की एनसीआरबी रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी | बैठक मे मनोज मिश्रा ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि झारखंड में महिलाओं की आबादी लगभग 1 करोड़ 88 लाख 50 हजार हैं. इनमें से 43 फीसदी महिलाओं का किसी न किसी रूप में अपराध से सामना होता है. वहीं, देश में 64.5 फीसदी महिलाओं के खिलाफ अपराध होते हैं. केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें, तो महिलाओं के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 104.5 फीसदी है. सबसे बुरी स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है, जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 147.6 फीसदी हैं | उन्होने बताया कि देश मे महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. ये बढ़ोतरी साल 2020 और 2021 की तुलना में साल 2022 में अधिक हुई है. आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में आए हैं. क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट 2022 में इस रिपोर्ट में भारत में साल 2022 में हुए अपराधों का विस्तृत 3 दिसंबर, 2023 को जारी किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश (UP) में दर्ज किए गए. वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड दिल्ली का है. उन्होने कहा कि महिला सशक्तिकरण की बातें करने वाली सरकारों को इस दिशा मे गंभीरता से विचार करना चाहिए | बैठक मे मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, गुरमुख सिंह, ऋषि गुप्ता, आर सी प्रधान, राजू ठाकुर, जगन्नाथ महंथी, रिया बनर्जी, सुभश्री दत्ता, रीना दास, रूबी देवी, अंजू देवी, सोमवारी, सुमित्रा, मंजू शर्मा सहित काफ़ी संख्या मे सदस्य उपस्थित थे |