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महानवमी पर किया गया मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना, घरों में कन्याओं की पूजा कर लिया गया आशीष


जमशेदपुर. शहर के सभी पंडालों में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए गुरुवार को शारदीय नवरात्रि की पूजा अर्चना हुई. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है. महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा किया गया. महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक समाप्त हो जाते हैं. महानवमी के दिन कन्या पूजन और नवरात्रि हवन का भी विधि किया गया. मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग और महत्व भी है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बुधवार, 13 अक्टूबर को सायं 08:07 से प्रारंभ हो चुकी है. गुरुवार 14 अक्टूबर को सायं 06:52 बजे समाप्त होगी. ऐसे में इस साल 14 अक्टूबर को महानवमी का व्रत रखा जाएगा. महानवमी के दिन रवि योग रवि 15 अक्टूबर को सुबह 9:36 से शुरू होकर 06:22 बजे तक है. ऐसे में महानवमी रवि योग में है. महानवमी पर राहु काल दोपहर 01:33 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक है. आज प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर महानवमी का व्रत करने का संकल्प लें और मां सिद्धिदात्री की पूजा किया गया. फिर मां को अक्षत, फूल, धूप, सिंदूर, सुगंध, फल आदि का भोग लगाया गया. उन्हें विशेष रूप से तिल अर्पित किया गया. अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती हुआ. माँ दुर्गा को खीर, मालपुआ, मीठा हलवा, पूरनपोथी, केला, नारियल और मिठाई भी चढ़ाया गया. घर महानवमी के दिन कन्या पूजन और हवन की परंपरा है, तो मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद हवन विधि विधान से पूजा हुआ. इसके पश्चात 02 से 10 वर्ष की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित की गयी. विधिपूर्व​क कन्या पूजन करें और उनको उपहार एवं दक्षिणा देकर आशीष लिया गया.

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