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मन के अर्पण में..

विश्वास
मन को बांधे जो आस
वो विश्वास है l
प्रेम, भक्ति में ये
सारी सृष्टि में ये,
ईश्वर से मिला ये वो
उपहार है l

मन के अर्पण में ये
है समर्पण में ये,
मन को मन से जो बांधे
वो विश्वास है l

ये तो सूरज सा है
ये तो चंदा सा है,
माँ की ममता सा
शीतल सुखद भाव है l

ना ही तोड़ो इसे
ना ही कोसो इसे,
ये ही जग में मानवता
का आधार है l

आये विपदा कभी
टूटे आशा सभी,
तब भी साहस का करता
ये संचार है l

रिम्मी वर्मा (स्व रचित )
राँची (झारखण्ड )

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