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मन की अभिव्यक्ति
कभी उम्र का लिहाज कभी रिश्तों का आदर, जिंदगी की भी कैसी सख्ती है,
गैरों से मनचाहा बोल ले पर अपनों से सच बोलने की कहाँ खुली अभिव्यक्ति है।
अनगिनत जिम्मेदारी, किरदार जिसका अहम, वही ख्वाहिशों के बोझ तले जीता व्यक्ति है।
उन्हें शीशा कौन दिखाए जो समझे खुद को खुदा,
क्या सच में ऐसी कोई शक्ति है।
और कितने घाव देंगे मुंह से चाशनी टपकाने वाले 🤮
नियत जिनकी धोखा दिखाबा जिनकी भक्ति है।
किसी को कोई मतलब नहीं जब तक मौन रहो तुम,🙅
दुनियां तो बस तमाशे का स्वाद ही चखती है।
वह कभी बुरा नहीं मानती तुम उसे कितना भी कुछ कह लो,
मॉं की नजरें तो आज भी बच्चे का रास्ता ही तकती है।❣️👁️
रब कितनी भी परीक्षा ले स्वीटी हार नहीं मानना 💔
मन में बसी जब तक भगवान की भक्ति है।
स्वीटी जैन ‘दिल से’
शाहगढ जिला सागर
स्वरचित एवं मौलिक