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मनुष्य के जीवन में मित्रता की अहम भूमिका – हिमांशु महाराज श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन के साथ भागवत कथा का समापन


जमशेदपुर: बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का सोमवार को विश्राम हो गया। अंतिम दिन मथुरा से आये कथा वाचक हिमांशु महाराज ने सुदामा चरित्र एवं भगवान श्रीकृष्ण कथा विश्राम प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा वाचक ने धर्म, सत्य और कलयुग की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कृष्ण और सुदामा की मित्रता की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जहां मित्रता होती है वहां मतलब नहीं होता। आज के मनुष्य को कृष्ण और सुदामा से सीखना चाहिए कि मनुष्य के जीवन में मित्रता की कितनी अहम भूमिका रहती है। भगवान राजा और रंक में कोई भेद नहीं करते। भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे। लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण था। महाराज ने बताया कि कलयुग में केवल भगवान का नाम ही सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला है, क्योंकि कलयुग में ऐसे राजा राज्य करेंगे जिनका न कोई धर्म होगा और न ही वे सत्य की राह पर चलेंगे। भगवान ने उद्धव को 24 गुरूओं की कथा सुनाकर और यह कहकर कि आज से तीसरे दिन यह द्वारका समुद्र में डुब जायेगी। भगवान स्वधाम को चले गये। कृष्ण के जाते ही इस पृथ्वी पर कलयुग आ गया। आज कलयुग में मित्र-मित्र को ही धोखा दे जाते हैं। अंत में भगवान का अंतिम श्लोक का दर्शन कराया गया। सोमवार को यजमान के रूप में बिहारी लाल शर्मा, चंडी प्रसाद नागेलिया, ओमप्रकाश बांकरेवाल, गोपाल मूनका, रामवतार अग्रवाल समेत प्रसाद यजमान कमल अग्रवाल, विजय अग्रवाल, अजय गुप्ता मौजूद थे। निकली शोभा यात्राः-अंतिम दिन सोमवार की संध्या गाजे-बाजे के साथ बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर से शोभा यात्रा निकाली गयी, जिसमें सैकड़ों की संख्या में भक्तगण शामिल हुए। बिष्टुपुर मेन रोड़ से शोभा यात्रा वापस मंदिर लौटने के बाद पहले हवन हुआ, फिर सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। इनका रहा योगदानः- सातों दिन कथा को सफल बनाने में सुरेश अगीवाल, कुंजबिहारी नागेलिया, अशोक नरेड़ी, अशोक संघी, बासुदेव नागेलिया, सुरेश सोंथालिया, संतोष संघी, सुभाष मूनका, सत्यनाराण नरेडी, श्याम सुंदर सोंथालिया, बासुदेव मोदी, कमल अगीवाल, महावीर नागेलिया, हरि अगीवाल, बाबुलाल सोंथालिया, सत्यनारायण नरेड़ी, मुरारीलाल नागेलिया आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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