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स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने वित्तीय अनियमितता किया है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जांच पूरा होने तक स्वास्थ्य मंत्री को पद मुक्त करे : सरयू राय


सरयू राय

बन्ना गुप्ता
जमशेदपुर। 14 अप्रैल को बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की जयंती, बैशाखी, महावीर जयंती की सार्वजनिक छुट्टी थी। छोटे-बड़े सभी सरकारी ऑफिस बंद थे। पर झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यालय खुला था। शाम को विभाग की ओर से एक आधिकारिक वक्तव्य प्रसारित हुआ कि “स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एवं अन्य ने जो कोविड प्रोत्साहन राशि लिया है वह सक्षम प्राधिकार के आदेश से लिया है और 1.5.2021 के संकल्प के आधार पर लिया है। यह बाते जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरजू राय ने प्रेस बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि
मैं स्वास्थ्य विभाग के इस वक्तव्य को चुनौती देता हूँ और छुट्टी के दिन स्वास्थ्य विभाग क़ा ऑफिस खोलकर कोविड प्रोत्साहन राशि के भुगतान से संबंधित संचिका को उलटने पलटने की निंदा करता हूँ।

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस बारे में की गई वित्तीय अनियमितता उजागर होने से स्वास्थ्य मंत्री विचलित हो गये हैं। उन्हें यह ख़्याल नहीं है कि आपात् स्थिति के अलावा ऐसे छुट्टी के दिन सरकारी ऑफिस खोलना महापुरुषों का अपमान है और नाजायज है।

अम्बेडकर जयंती, महावीर जयंती, बैशाखी की छुट्टी के दिन ऑफिस खोलकर ये कौन आवश्यक कार्य कर रहे थे। मुझे आशंका है कि कल छुट्टी के दिन अपना ऑफिस खोलकर स्वास्थ्य मंत्री ने संचिका में हेराफेरी करने और सबूतों को नष्ट करने का प्रयास किया है। वे भयभीत हैं कि छुट्टी समाप्त होते ही मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री जांच करने का आदेश देकर संबंधित संचिका जप्त कर सकते हैं और जाँच के लिये संचिका अपने पास मंगा सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने कल आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि मंत्री ने सक्षम प्राधिकार के आदेश से कोविड प्रोत्साहन राशि का “बन्नाबांट” किया है जो बंदरबाँट की तरह का ही संगीन अपराध है। राज्य की जनता को यह जानने का हक़ है कि स्वास्थ्य विभाग में सर्वोच्च सक्षम प्राधिकार कौन है ? क्या विभाग में मंत्री के उपर भी कोई सक्षम प्राधिकार होता है जो उनके बारे में निर्णय लेता है ? क्या विभाग ने संबंधित विषय में इस बारे में मुख्यमंत्री या राज्यपाल का आदेश प्राप्त किया जो सरकार में मंत्री के उपर सक्षम प्राधिकार हैं ?
क्या स्वास्थ्य विभाग के मंत्री ने स्वयं कोविड राशि लेने का आदेश दिया है। यानी बायें हाथ ने दाहिने हाथ को बन्नाबांट करने का आदेश दे दिया है और खुद अपने और अपने मातहतों के लिये रेवड़ियाँ बाँटने का आदेश अपने ही दे दिया है? क्या विभाग द्वारा इस मामले में जो 3 सदस्यीय समिति बनी है उसने मंत्री और मंत्री कोषांग के कर्मियों का चयन प्रोत्साहन राशि लेने के लिये किया है ? विभागीय संयुक्त सचिव मनोज कुमार ने किस सक्षम प्राधिकार के आदेश से मंत्री के कोषांग में कार्यरत कर्मियों की सूची प्रोत्साहन राशि हेतु माँगा है ? विभागीय संयुक्त सचिव मनोज कुमार ने जिस पत्र के माध्यम से मंत्री कोषांग के कर्मियों का नाम प्रोत्साहन राशि के लिये माँगा है उसमें उन्होंने मंत्री का नाम उन्होंने नहीं माँगा है. पर मंत्री ने अपना नाम भी सूची में जोड़कर भेज दिया है।।प्रश्न उठता है कि क्या मंत्री अपने कोषांग के कर्मी हैं। क्या अपना और अपने कोषांग के कर्मियों का नाम कोविड प्रोत्साहन राशि लेने वाली सूची में डालते समय मंत्री को पता नहीं था कि 1.5.2021 के संकल्प में ऐसे लोगों को प्रोत्साहन राशि नहीं दिया जाना है ? क्या मंत्री ने यह जानने की कोशिश किया कि जो कर्मी उनके कोषांग में कार्यरत है उसमें से कौन कितने समय से कार्यरत है और कौन ऐसा है जो कोविड के समय वहाँ पदस्थापित नहीं थे ? क्या नियमानुकुल नहीं होने के बावजूद थोक के भाव से सभी कर्मियों के नाम पर प्रोत्साहन राशि दे देना वितीय अनियमितता नहीं है ? क्या यह 1 मई 2021 के एतदसंबंधी संकल्प के भावना की अवहेलना नहीं है ?

स्पष्ट है कि स्वास्थ्य मंत्री ने वित्तीय अनियमितता किया है, भ्रष्ट आचरण किया है। लगातार चार दिन के सरकारी अवकाश में ऑफिस खोलकर संबंधित संचिका में छेड छाड किया है।
अनुरोध है कि मुख्यमंत्री घपले घोटाले वाली स्वास्थ्य विभाग की यह संचिका शीघ्र अपने पास मँगायें, तथ्य देखें, जाँच करें और कारवाई करें। मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित करायें कि सोमवार के पहले (अवकाश की अवधि में) स्वास्थ्य विभाग का ऑफिस किसी के भी द्वारा नहीं खोला जायेगा।
मुख्यमंत्री जाँच पूरा होने तक मंत्री स्वास्थ्य को पद मुक्त करें।

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