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भाव विह्वल होकर जब मनुष्य परम पुरुष को पुकारता है तो उसके अंदर आशा का संचार होता है

कीर्तन करने से उसका आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति बहुत मजबूत हो जाता है

जमशेदपुर ।आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा से 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम्”अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया एवं लगभग 50 फलदार पौधों का वितरण गदरा के आसपास के ग्रामीणों के बीच किया गया। कीर्तन समाप्ति के पश्चात कीर्तन के विषय में आचार्य नवरुणानंद अवधूत ने कहा कि बहिर्मुखी और जड़ाभिमुखी चिन्तन ही वैश्विक हिंसक ज्वालामुखी का मूल कारण है।मनुष्य के हिंसक प्रवृति के कारण वातावरण में भय और चित्कार का तरंग बह रहा है।संयमित जीवन सात्विक आहार, विचार और व्यवहार से हिंसक प्रवृत्ति को हराया जा सकता है। कीर्तन मानवीय संवेदना को मानसाध्यात्मिक स्तर में ले जाकर परम-शांति का रसपान कराता है। भाव विह्वल होकर जब मनुष्य परम पुरुष को पुकारता है तो उसके अंदर आशा का संचार होता है। कीर्तन करने से उसका आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति बहुत मजबूत हो जाता है। सामूहिक कीर्तन प्राकृतिक विपदा से तत्क्षण त्राण देता है। ललित नृत्य के साथ कीर्तन करने से वातरोग का शमन होता है । कीर्तन करने से बाधाएं समाप्त हो जाती हैं ।चिंता भी दूर हो जाता है।कीर्तन साधना सहायक और आनंददायक है।
कलयुग में कीर्तन ही परमात्मा के साथ अपने को जोड़ने का एक साधन है। इसलिए बुद्धिमान मनुष्य समय निकाल कर अवश्य ही कीर्तन करेंगे । “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन एक सिद्ध महामंत्र है, इसीलिए किसी प्राकृतिक आपदा या मानव सृष्ट आपदा में जैसे ही दोनों हाथ ऊपर कर निष्ठा के साथ कीर्तन किया जाए तो तत्काल क्लेश से मुक्ति मिल जाते हैं । इसे करने के लिए देश, काल और पात्र की कोई बन्धन नहीं है।

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