भारत सरकार के बजट मे अधिवक्ता कल्याण के लिए भी निधि का आवंटन किया जाए : राजेश शुक्ल
जमशेदपुर। झारखण्ड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल को ई मेल भेजकर झारखण्ड मे अधिवक्ता कल्याण की योजनाओं को सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए बजट मे अधिवक्ताओ की कल्याणकारी योजनाओं के लिए निधि आवंटन का प्रावधान करने का आग्रह किया है l
श्री शुक्ल ने विधि और न्याय मंत्री को लिखा है की झारखण्ड मे आज भी कई जिले और अनुमंडल ऐसे है जहा अधिवक्ताओ के न तो बैठने के बेहतर व्यवस्था है और न ही बेहतर आधारभुत संरचना ही सुलभ है l
श्री शुक्ल ने लिखा है की भारत सरकार का विधि और न्याय विभाग द्वारा पुरे देश मे न्यायालयो के आधुनिकीकरण की दिशा मे तेजी से सराहनीय प्रयास किए जा रहे है, झारखण्ड मे भी इस दिशा मे प्रयास की आवश्यकता है ताकि आजादी के अमृतकाल मे झारखण्ड मे भी सभी जिला, अनुमंडल मे सुन्दर बार भवन, काम्प्लेक्स का निर्माण हो, जहा महिला अधिवक्ताओ के लिए कॉमन रूम, वास रूम के साथ समृद्धिशाली पुस्तकालय हो, और युवा अधिवक्ताओ के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण भवन भी हो तभी ही अधिवक्ता व्यवस्थित ढंग से अपने कानूनी क्षेत्र की भूमिका को और सशक्त तरीके से पूरा कर सकते है और उनका मार्ग प्रशस्त हो सकेंगा
श्री शुक्ल ने विधि और न्याय मंत्री को लिखा है की झारखण्ड उच्च न्यायालय और जिला और अनुमंडल न्यायालयो मे न्यायधीशो और न्यायिक अधिकारियो की कमी को दूर करने की दिशा मे कदम भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि मामलो का निष्पादन समयसीमा के अंदर हो l
श्री शुक्ल ने लिखा है की झारखण्ड मे युवा अधिवक्ताओ को प्रोत्साहन राशि देने के सम्बन्ध मे भी कदम उठाने की जरुरत है ताकि यहा के मेधावी और होनहार युवा अधिवक्ता न्यायिक क्षेत्र मे और विभिन्न कॉरर्पोरेट सेक्टर एवं लॉ फार्मो और अन्य कानूनी क्षेत्रो मे अपना स्थान बना सकेl
श्री शुक्ल ने भारत सरकार इस फार्मूले का की नागरिक प्रथम, सम्मान प्रथम और न्याय प्रथम का स्वागत करते हुवे लिखा है की न्यायिक सुगमता का नया युग शुरू हुआ है तो ऐसे मे झारखण्ड के न्यायालय और बार भवन आधुनिक सुविधा और संसाधन से परिपूर्ण रहना चाहिए जहा न्यायिक अधिकारियो, अधिवक्ताओ और मुव्वकीलों के बैठने की व्यवस्था उत्तम से उत्तम हो ताकि इस अमृत युग मे ये कानूनी सुधार हमारे कानूनी ढांचे को और अधिक प्रासंगिक बना सके और केंद्र सरकार के न्याय को प्राथमिकता का देश के लिए बनाये गए विधान को हर स्तर पर सफलता मिल सके l