भारत भूमि की मिट्टी धन्य है जिसे भगवान ने सेवन किया – पंडित मनीष शंकर
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारे से गूंज उठा अग्रसेन भवन
साकची अग्रसेन भवन में भागवत कथा का पांचवा दिन
जमशेदपुर। साकची श्री अग्रसेन भवन में अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्धारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पाचवें दिन शुक्रवार को व्यासपीठ से कथावाचक पंडित मनीष शंकर जी महाराज ने नंदोत्सव, कृष्ण जन्म बधाई, श्री गिरिराज पूजन, अन्नकुट सहित माखन चोरी एवं अन्य बाल लीला की कथा का प्रसंग विस्तार से सुनाया। जिसे सुनकर भक्त भाव विभोर हो गए। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और बाल लीलाओं का हमारे समाज को दिया गया सुखद संदेश है। भगवान कृष्ण ने वृन्दावन की मिट्टी खाई। आज तक किसी भगवान ने अपने बचपन में मिट्टी को नहीं खाया है। भारत भूमि की मिट्टी धन्य है जिसे भगवान ने सेवन किया। यह सब बाल लीलाओं का एक हिस्सा है। कथा के दौरान जैसे ही भगवान कृष्ण की बधाई गायन हुआ भक्तों ने उपहार लुटाना शुरू कर दिया। उन्होंने हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारे लगाए। कथा का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु झूमने लगे। झूमते नाचते मदमस्त भक्तों की टोली ठाकुर जी के प्रसाद पाने के लिए खासे लालायित नजर आई। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयघोष से कथा स्थल अग्रसेन भवन गूंज उठा। महाराज श्रीे द्वारा कथा के दौरान बीच-बीच में भजनों की सुंदर प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
इस दौरान उन्होंने माखन चोर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वृन्दावन की गोपियां सिद्ध ऋषि आत्मा थी। उनका जन्म पूर्व प्रायोजित गोपियों के रूप में हुआ। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओँ को देखने ही ऋषिओं का जन्म गोपियों के रूप में हुआ। उन्होने कहा माखनचोर ने माखन चोरी मात्र इसलिए नहीं की कि उनके पास किसी प्रकार की कमी थी। बल्कि गोकुल को धन्य करने के लिए भगवान ने सारी लीलाएं रची। जब कृष्ण माखन नहीं चुराते तब भी गोकुल वासियों को तकलीफ होती थी। जब चुराते थे तो उन्हें कृष्ण से खिलवाड़ करने का अवसर मिलता था। नटखट भगवान हमेंशा अपने सखा जीव जन्तुओं को चोरी में शामिल किया और उनकी रक्षा भी की। अपने सखा को हमेशा बचाया।
अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्धारा आयोजित भागवत कथा में पांचवें दिन शुक्रवार को कथा में प्रमुख रूप से विश्वनाथ अग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, श्याम सुंदर अग्रवाल, शंकर लाल अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल, परमानंद अग्रवाल, विनोद कुमार अग्रवाल, राजेश कुमार अग्रवाल समेत काफी संख्या में भक्तगण शामिल होकर देेर शाम तक कथा का आनन्द लिया।