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भाजपा उम्मीदवार के रूप में गीता कोड़ा के आने से भाजपा में कोड़ा समर्थकों के लिए दोहरी खुशी का संचार

संतोष वर्मा
चाईबासा। 10, अ. ज. जा.सिंहभूम संसदीय क्षेत्र की राजनीतिक उलझन तब तक बने रहेगा, जब तक इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार का घोषणा नहीं हो जाता है। यह सच है कि भाजपा की चुनावी रणनीति स्पष्ट और ठोस है। इसका बढ़िया उदाहरण सबसे पहले उम्मीदवारों की सूची जारी करना। हालांकि कांग्रेस भी भाजपा के देखा देखी कांग्रेस केंद्रित राज्यों के उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। लेकिन जहां तक सिंहभूम संसदीय क्षेत्र की बात है तो भाजपा इंडिया गठबंधन से बहुत आगे है।अलग बात है सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में झामुमो कांग्रेस गठबंधन का एक छात्र राज है। लेकिन भाजपा शुरुआती दौर से सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में विशेष रणनीति बनाकर काम कर रही है। यह भाजपा का कार्यक्रम को गौर करने से पता चलता है। जब 2022 के प्रथम सप्ताह में देश के गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम टाटा कॉलेज चाईबासा के मैदान में आयोजित हुआ था। जिस आम सभा में देश के वैसे सीट को चिन्हित किया गया था। जहां कांग्रेस के सांसद है। जाहिर सी बात है झारखंड में एक ही कांग्रेस का सांसद निर्वाचित हुई थी गीता कोड़ा। अमित शाह ने टाटा कॉलेज चाईबासा में आयोजित आमसभा में कांग्रेस पार्टी पर कड़ा प्रहार किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा प्रहार किया था। पर सासंद गीता कोड़ा पर नरमी बरत लिए थे।पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की आरोप पर कुछ नहीं कहा था। तब से ही सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने की कयास सभी अखबारों की सुर्खियां बटोर रही थी।और यह कयास वर्ष दर वर्ष लगाने के बाद गीता कोड़ा ने भाजपा ज्वाइन कर सच साबित किया,या अखबार में प्रकाशित कयास सच साबित हुआ। जो हो गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने के एक सप्ताह के अंदर केंद्र नेतृत्व ने भाजपा के उम्मीदवारों की पहला सूची जारी किया। जिस सूची में गीता कोड़ा का भी नाम शामिल है। सांसद गीता कोड़ा के लिए यह सौगात सोने पे सुहागा साबित हुआ। गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने पर भाजपा के कार्यकर्ताओं के द्वारा जगह जगह स्वागत का कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा। पूरे संसदीय क्षेत्र में चुनावी कार्यालय का उद्घाटन किया जा रहा है। उसमें भी स्वयं सांसद,भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा जा रही है। फीता काट रही है। भाजपा उम्मीदवार के रूप में गीता कोड़ा का नाम आने से भाजपा में खासकर गीता कोड़ा समर्थकों के लिए दोहरा खुशी के साथ ऊर्जा का संचार करने वाला साबित हुआ। और वहीं भाजपा के अन्य पार्टी पदाधिकारी जो उम्मीदवार के लिए दावेदारी पेश किया था,उन्हें निराशा ही हाथ लगा। इसी बीच सांसद गीता कोड़ा को विभिन्न विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा। जहां एक ओर सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं के द्वारा लोकतंत्र बचाओ मोर्चा के तत्वाधान में गीता कोड़ा ,मधु कोड़ा का शव यात्रा निकालकर पुतला फूंका गया। वहीं दूसरी ओर झारखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार बालमुचू के नेतृत्व में चाईबासा शहर में नगाड़ा और मंदार के थाप के साथ जुलुश भी निकाला गया। कांग्रेस भवन परिसर चाईबासा में शुद्धिकरण के नाम पर हो दस्तूर के आधार पर पूजा पाठ का आयोजन भी किया गया।भाजपा उम्मीदवार के रूप में गीता कोड़ा का घोषणा होने के साथ ही बूथ स्तरीय भाजपा कार्यकर्ताओं की सम्मेलन भी आयोजित हुई।लेकिन इसी बीच सांसद गीता कोड़ा के मां की निधन की खबर पर मातम छा गया। हो विधि विधान से गीता कोड़ा के मां का अंत्येष्टि होने के बाद फिर राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने के लिए गीता कोड़ा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के सामने विवश थी। जहां आदित्यपुर के क्षेत्र में गीता कोड़ा के स्वागत में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा की गई आतिशबाजी और अबीर गुलाल की चर्चा पक्ष विपक्ष के बीच टीका टिप्पणी करने का अवसर प्रदान करने वाला साबित हुआ। इसी बीच यह भी खूब चर्चा का कारण बना जब चाईबासा के पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष सन्नी सिंकु रांची जाकर कांग्रेस के झारखंड प्रभारी से मुलाकात किया था। कहा जा रहा था कि सन्नी सिंकु फिर से कांग्रेस में वापसी कर सकते है। लेकिन अधिकृत रूप से कोई समाचार नहीं मिलने से फिर सन्नी सिंकु का चर्चा बंद हो गया। हालांकि सोशल मीडिया में सन्नी सिंकु का नाम जयराम महतो के जेबीकेएसएस से उम्मीदवार होने की संभावना पर भी समर्थकों के बीच चर्चा रहा है।इसी बीच इंडिया गठबंधन यानी कांग्रेस और झामुमो के बीच सीट शेयरिंग का चर्चा खूब गर्म रहा। कांग्रेस पार्टी के जिला प्रभारी कहते रहे कि सिंहभूम संसदीय सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है। वहीं झामुमो की दावेदारी पांच विधानसभा सीट पर उनका एमएलए होने का दवाब दो वर्षों से कार्यक्रम आयोजित कर किया जाता रहा। जो सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने पर झामुमो को वाकवार देने के जैसे प्रतीत होता है। साथ ही विगत 9 मार्च को कांग्रेस प्रभारी का चाईबासा में निर्धारित कार्यक्रम को स्थगित करने से और अधिक झामुमो के दावेदारी को हवा मिल गया।और अब लगता है औपचारिक घोषणा मात्र का इंतजार किया जा रहा है।झामुमो के हिस्से में सिंहभूम संसदीय सीट जाने से अब उम्मीदवार का कयास तेज होने लगा है।चौक चौराह पर राजनीतिक परिचर्चा होने लगा है।जितना मुंह उतना नाम वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।कोई कहता है हो बहुल इस संसदीय क्षेत्र में हो उम्मीदवार को ही पार्टी उम्मीदवार बनाने के जुगत में लगा हुआ है।जिसमे रह रहकर दो तीन नाम पर चर्चा गर्म है।कोई कहता है जिला परिषद की अध्यक्ष लक्ष्मी सुरीन झामुमो से उम्मीदवार हो सकती है।कोई कहता है झामुमो जिला अध्यक्ष और विधायक सुखराम उरांव ही उम्मीदवार बनेगा। इतना ही नहीं खरसावां के झामुमो विधायक दशरथ गगराई का भी नाम आता है उम्मीदवार के रूप में। जबकि झामुमो के जिला सचिव सोनाराम देवगम का भी दावेदारी है। सोनाराम देवगम पूर्व सांसद कानूराम देवगम,पूर्व विधायक शुभनाथ देवगम,पूर्व विधायक हरीश देवगम के पारिवारिक पृष्ठभूमि से है। जो हो इंडिया गठबंधन से दमदार उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं होने से गीता कोड़ा को वॉक ओवर देने के बराबर प्रतीत होता है।कभी कभार तो यह भी बात चर्चा में आता है पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का पकड़ दोनों राष्ट्रीय पार्टी में मजबूत है।और इसलिए लोग यह भी कहते सुनाई पढ़ते है कि मधु कोड़ा गीता कोड़ा को जिताने के लिए सुनियोजित तरीके से कम लोकप्रिय उम्मीदवार को उतारने की पहुंच और प्रभाव डाल सकते है। हालांकि गीता कोड़ा बहुत लोकप्रिय होने के बाद भी ग्रामीण जनता का पहला पसंद नहीं बन पा रही है। वह सिर्फ शहर और कस्बा में चुनावी कार्यालय का उद्घाटन और बैठक कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक उसका संपर्क अभियान का शुरुवात नहीं हुआ है। सिंहभूम संसदीय क्षेत्र की जनता भी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार कर रही है। उसके बाद ही ग्रामीण इलाकों से जनता का अधिक प्रतिक्रिया सामने आ पाएगा। लेकिन अब तक तो सिर्फ भाजपा ने ही सांसद गीता कोड़ा को उम्मीदवार घोषित किया है। इंडिया गठबंधन की ओर से भी उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही तुलनात्मक रूप से जनता का झुकाव और रुझान अधिक स्पष्ट होगा। अब समय के गर्त में है कि इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार कौन और कितना दमदार होगा? इंतजार कर लिया जाए।

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