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बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन में धूमधाम से मना शाकंभरी माता का दसवां वार्षिक महोत्सव

मइया का श्रृंगार बड़ा ही प्यारा है... जैसे भजनों पर झूमे श्रद्धालु

जमशेदपुर। गुरूवार को बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन में श्री शाकंभरी माता का दसवां वार्षिक पोष पूर्णिमा महोत्सव सह सामूहिक मंगलपाठ का भव्य आयोजन धूमधाम से मनाया गया। श्री शाकंभरी माता परिवार टाटानगर द्धारा आयोजित हुए इस एक दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ पूजा अर्चना एवं ज्योत प्रज्जवलित से हुई। यजमान निशा-सुभाष सोंथालिया, सरिता-विनोद सोंथालिया, मंजू-विजय सोंथालिया, उषा-मुरारी सोंथालिया, चुमकी-रितेश सोंथालिया, सरोज-सीताराम खंडेलवाल द्धारा संयुक्त रूप से माता की पूजा की गयी। बसंत पंडित नेे पूजा करायी तथा सबको रक्षा सूत्र बांधा। खुशबू सोंथालिया द्धारा घर में बनाये हुए केक को प्रसाद स्वरूप माता को भोग लगाया गया। इस शुभ अवसर पर 251 से अधिक महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में माता का मंगलपाठ किया। स्थानीय कलाकार मनोज शर्मा मोनु ने मंगलपाठ का वाचन के साथ ही भजनों की शानदार प्रस्तुति दी। इस धार्मिक अनुष्ठान में मंगल पाठ, भजन, भव्य दरबार, ज्योत प्रज्जवलित, छप्पन भोग, प्रसाद आदि आकर्षण का केन्द्र बना रहा। इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ था। श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाये। इस अवसर पर महोत्सव में सहयोग करने वाले समाज के कई गणमान्य लोगों को संस्था की तरफ से सम्मानित भी किया गया।
आज मेरी मैया को किसने सजा दियाः-
इससे पहले गजानंद आज पधारो जी शाकम्भरी मैया की मंगल आनंद बरसाज्यो जी…. श्री गणेश वंदना के साथ मंगल पाठ एवं भजनों का कार्यक्रम शाम में 4 बजे से शुरू हुआ, जो रात 10 बजे महाआरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ। आमंत्रित स्थानीय कलाकार मनोज शर्मा मोनु ने मॉ का गुणगान करते हुए मेरी सकरायवाली मैया का श्रृंगार बड़ा ही प्यारा है…, शाकम्भरी परिवार है ये शाकम्भरी परिवार…, लाया थारी चुनरी कर लो मॉ स्वीकार…, हर महिने मईया जी हम ज्योत जलायोंगें…, सकराय वाली माई आज पधारी हैं…, बोल कुणसो भजन सुनाऊ मवाड़ी…, देखो जरा भाई देखो जरा आज शाकम्भरी माँ सिंह पर चढ़ आई है… आदि समेत एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति कर समां बांधा। जिससे आसपास का पूरा वातावरण गुंजायमान होता रहा। कलाकार द्वारा प्रस्तुत किये गये भजनों पर भक्तों द्वारा नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।
इनका रहा योगदानः-
इस धार्मिक महोत्सव को सफल बनाने में प्रमुख रूप से शकुंतला-सीताराम अग्रवाल, कुसुम-विश्वनाथ सोंथालिया, सरोज-सीताराम खंडेलवाल, सुमित्रा-रामगोपाल शाह, श्यामा-शैलेश कांवटिया, नीतु-संदीप हरनाथका, दीपा-दिलीप रिंगसिया, मनीषा-नितेश कांवटिया, श्वेता-सौरव जवानपुरिया का विशेष सहयोग रहा। साथ ही संस्था की सभी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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