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बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना को धरातल पर लाने के लिए डीसी के माध्यम से सीएम को मांग पत्र दिया गया

जमशेदपुर। बागबेड़ा एवं छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना की मांग को लेकर बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा के अगुवाई में 2005 से क्रमबद्ध एवं संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति के संयुक्त तत्वधान में अध्यक्ष छोट राय मुर्मू, कृष्णा चंद पात्रो, रितु सिंह, प्रभा हास्दा के नेतृत्व में 389 बार धरना, प्रदर्शन, उपायुक्त कार्यालय का घेराव , पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का घेराव प्रदर्श न, भूख हड़ताल ,6 बार विधानसभा का घेराव दो बार राजभवन का घेराव एवं एक बार जमशेदपुर से रांची तक पदयात्रा कर सैकड़ों लोगों के साथ विधानसभा का घेराव समिति के द्वारा किया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 2012 में आप सरकार में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री थे। घेराव के बाद उस वक्त विधानसभा स्थगित कर मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के द्वारा विधान सभा कक्ष में विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह के अध्यक्षता मेंआंदोलनकारियों को आपके द्वारा अस्वस्थ किया गया था । 27 दिसंबर 2012 मैं ही शिलान्यास करने का वादा किया गया था उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष सी पी सिंह ने कहा था हेमंत सोरेन यह बताइए आंदोलनकारियों को मात्र नारियल पानी दिलाएगा या जाएगा या घर-घर पाइपलाइन के माध्यम से सही में पानी उपलब्ध कराया जाएगा । आपने ही घोषणा किया था कि ग्रामीणों को यथाशीघ्र पानी उपलब्ध कराई जाएगी। आज आप स्वयं झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हैं सारा निर्णय अब आपको लेना है बागबेड़ा क्षेत्रों की कीताडीह क्षेत्रों की घाघीडीह क्षेत्रों की परसुडीह क्षेत्रों के 2 लगभग लाख जनता पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है। बागबेड़ा एवं छोटा गोविंदपुर जलापूर्ति योजना के लिए 237 करोड़ रुपए आंदोलनकारियों के आंदोलन के बाद सरकार ने स्वीकृत की है।और इसका शिलान्यास झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा 18 अप्रैल 2015 में बागबेड़ा के सिद्धू कानू मैदान में किया गया था। 3 साल में योजना को पूरा कर 2018 में घर-घर पानी बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना से उपलब्ध कराने का वादा किया गया था। आज 2022 हो गया और बागबेड़ा के लोगों को पानी प्राप्त नहीं हुआ जिसको लेकर समिति के अध्यक्ष सुबोध झा के नेतृत्व में 2005 से क्रमबद्ध बड़े पैमाने पर जन आंदोलन किया गया। समिति के साथ ग्रामीणों ने अलग-अलग माध्यम से धरना प्रदर्शन घेराव किया जा रहा है। पर सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार का इतनी बड़ी योजना के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। योजना धरातल पर उतर ही नहीं करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए जनता को एक बूंद पानी भी प्राप्त नहीं हुआ फिल्टर प्लांट में कई बार बाउंड्री वॉल टूट गया बागबेड़ा के बरोदा घाट पर नदी पार करने के लिए पाया का निर्माण किया गया जिसमें से दो पाए बाढ़ में बह गए। सभी क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने के नाम पर सड़कों को ध्वस्त कर दिया गया। रेलवे क्षेत्र की बस्तियों में आधा अधूरा पाई बिछा पर छोड़ दिया गया और पूरे पैसे को बंदरबांट कर दिया गया। इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है अविलंब इस पर न्यायिक जांच की जाए और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की जाए और इस योजना को धरातल पर उतारा जाए। इतने बड़े आंदोलन के बाद वर्ल्ड बैंक एवं केंद्र सरकार ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 237 करोड़ की योजना को धरातल पर उतारने का निर्णय लिया है। और 50% राशि वर्ल्ड बैंक देने की घोषणा की और दिया। उसी प्रकार केंद्र सरकार 33% पैसे उपलब्ध कराएं। फिर राज्य सरकार 16% एवं जनता ने 1% जनरल जनता 450 रुपया कर के एवं एस सी एवं एसटी 225 रुपए कर के बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के 113 गांव 19 पंचायत के 21000 घरों से पंचायत के मुखिया के पास पैसे जमा किए गए है। छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना के 127 गांव एवं 27 पंचायत के लगभग 26 हजार घरों से पैसे जमा किए गए हैं। ।साथ ही रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों के 1900 घरों से पैसे जमा किया गया है। छोटा गोविंदपुर जलापूर्ति योजना धरातल पर उतर गई है। एवं विभाग द्वारा पाइप बिछाने के नाम पर गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं। सड़क की मरम्मत ही सही रूप से नहीं कराई गई है। एवं ग्रामीण दर ₹62 50 पैसा पर महीने पानी का शुल्क लेना है। पर गोविंदपुर में शहरी दर पर पानी का शुल्क वसूला जा रहा है जिस का पुरजोर विरोध किया जाएगा।

बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना को यथाशीघ्र धरातल पर उतारा जाए। और बागबेड़ा के तमाम पंचायत और बस्तियों में जनता को पानी उपलब्ध कराया जाए। टाटा स्टील मौलिक सुख-सुविधा के अंतर्गत मात्र 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ग्रामीण बस्तियों में सीएसआर के तहत बागबेड़ा कीताडीह घाघीडीह एवं परसुडीह के 113 गांव 19 पंचायत को मौलिक सुख सुविधा के तहत पीने योग्य पानी स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएं जाए। बागबेड़ा एवं छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना से शहरी दर पर पानी का बिल असूला जाएगा तो सभी पंचायत को जुगसलाई नगरपालिका या बागबेड़ा नगर परिषद बनाकर शामिल किया जाए। बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का लाभ जनता को मिला नहीं और योजना ध्वस्त हो रही है बरोदा घाट में बह गए पाया फिल्टर प्लांट में बनाए गए कमरे बाउंड्री वाल ध्वस्त हो जाना सड़कों को खोदकर बागबेड़ा एवं गोविंदपुर के सैकड़ों गांव एवं पंचायत में गड्ढे खोदकर पाइप बिछाने के नाम पर छोड़ देना इन सभी की न्यायिक जांच हो और भ्रष्टाचारियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए। विभाग वर्ल्ड बैंक केंद्र सरकार राज्य सरकार और जनता के द्वारा दिए गए पैसे का हिसाब और जवाब दें। जनता से 450 रुपए एवं 225 रुपए जो विभाग एवं पंचायत के द्वारा 2012 से करोड़ों रुपए वसूले ले गए हैं सभी जनता को शुद समेत वापस करें। 237 करोड़ रुपए वर्ल्ड बैंक केंद्र सरकार राज्य सरकार एवं जनता के द्वारा जो बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए फंड उपलब्ध कराया गया है। आई एल एप्स एप्स और इस कार्य में जो विभाग के जो भी लोग संलग्न है। इन सभी से एवं इनके जमीन जायदाद बेचकर इनके पेमेंट से इस पैसे को वसूल कर शुद् समेत वर्ल्ड बैंक और केंद्र सरकार को वापस करवाया जाए। और जनता के साथ धोखा घड़ी करने के ज़ुल्म में भ्रष्टाचार की मुकदमा दर्ज की जाए। सूचना के अधिकार के तहत इस योजना में कितने खर्च किए गए और यह योजना धरातल पर क्यों नहीं उतरी इसकी पूरी जानकारी आंदोलनकारी अलग अलग तरीके से मांगेंगे। बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए माननीय उपायुक्त महोदय जिनके ऊपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया साथ ही आंदोलनकारियों पर भी आरोप लगाए गए उसके बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं आई आंदोलनकारी इसका भी जवाब लेंगे। बड़ा छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना यथाशीघ्र धरातल पर नहीं उतरती है 15 दिनों के बाद ग्रामीणों को पानी नहीं पिला ने 237 करो रुपए का गबन करने जनता के द्वारा लिए गए 450 और ₹225 शुद्ध समय वापस नहीं करने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी। अतः श्रीमान से विनम्र आग्रह है 15 दिनों के अंदर बात बड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के कार्य को चालू किया जाए और यथाशीघ्र ग्रामीणों को पानी उपलब्ध कराया जाए अन्यथा 15 दिनों के बाद बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन घेराव भूख हड़ताल ग्रामीणों के द्वारा की जाएगी और समस्या का समाधान नहीं होता है तो झारखंड हाईकोर्ट में जनता की तरफ से जनहित याचिका दायर की जाएगी। जिसकी सारी जवाबदेही जिला प्रशासन सरकार एवं विभाग की होगी।

इन्हे भेजा गया प्रतिलिपि

राष्ट्रपति भारत सरकार नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश झारखंड हाई कोर्ट रांची, प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, महामहिम राज्यपाल महोदय झारखंड रांची, मुख्य सचिव झारखंड सरकार रांची।

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