बट सावित्री की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा पति की दीर्घायु
जमशेदपुर। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की। मान्यता है कि सुहागन महिलाओ के लिए वट सावित्री व्रत बड़ा ही महत्व रखता है। इस व्रत को केवल सौभाग्यवती या सुहागन महिलाएं ही करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन पतिव्रता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। अपने पति सत्यवान के प्राणों के रक्षा के लिए पतिव्रता सावित्री ने वट सावित्री व्रत श्रद्धा और भक्ति भाव से किया था और इसी व्रत से सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था।
तभी से वट सावित्री व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्व रखता है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाए पूरे 16 श्रृंगार कर के वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती है। वटवृक्ष को हिंदू धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण वृक्षों के रूप में श्रेय दिया गया है। वट वृक्ष के जड़ पे जल चढ़ा कर, और वट वृक्ष को रोरी से टिक कर, अक्षत, हल्दी और मिठाई चढ़ाया जाता है। और वट वृक्ष को 108 बार रोली या कच्चे धागे से बांध कर परिक्रमा किया जाता है। इसके बाद किसी भी ब्राह्मण को अपने इच्छा अनुसार दक्षिणा भेंट किया जाता है और अपने से बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है।
बरगद के पेड़ को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। सभी सुहागन महिलाएं बहुत ही श्रद्धा और भक्ति भाव से वट वृक्ष की पूजा करती है, और अपने पति की लम्बी आयु की प्रार्थना करती है।