प्रशासन द्वारा नाकेबंदी करके हेलमेट सहित दो पहिये वाहन की लगातार कड़ाई से चेकिंग तो की जाती है पर ऑटो की परमिट की जाँच क्यों नहीं की जाती है?
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जमशेदपुर । प्रशासन द्वारा नाकेबंदी करके हेलमेट सहित दो पहिये वाहन की लगातार कड़ाई से चेकिंग तो की जाती है पर ऑटो की परमिट की जाँच क्यों नहीं की जाती है? यह कहना है झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा का, उन्होने छाया नगर में संगठन की एक विशेष बैठक में उक्त बातें कहीं | उन्होने कहा कि एक और ऑटो सहित अन्य कमर्शियल वाहन लगातार मुख्य सड़क को जाम किये रहते, जिनसे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है, उनका कभी चालान नहीं कटता, जबकि तय सीमा से अधिक ऑटो शहर में चल रहें है, जिनके परमिट की जाँच और उसमे क्षमता से अधिक सवारी बैठते है, उसकी जाँच कभी नहीं की जाती है | यह कैसा दोहरा क़ानून है | उन्होने कहा कि अनेक ऑटो के परमिट शहर के लिए नहीं है, फिर भी उनका परिचालन पुलिस की जानकारी में शहर में हो रहा है, जिस पर प्रशासन के स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है | बैठक में अनेक वक्ताओ ने बताया कि ऐसे ही जनहित से जुड़े अहम मुद्दे पर मानवाधिकार संगठन पहल करते हुए अभियान चलाएगा जिनमे इएससीआई अस्पताल में व्याप्त अनियमितता सहित शिक्षा तथा स्वास्थ्य से जुड़े अन्य मुद्दे शामिल होंगे | आज की बैठक में मनोज मिश्रा के साथ अधिवक्ता सलावत महतो, अभिजीत चंदा, किशोर वर्मा, रेणु सिंह, डी एन शर्मा, जगन्नाथ महंथी, अनिमा दास, देवाशीष दास सहित अन्य शामिल थे |