प्रत्येक जीव को परम पुरुष का ही विकाश समझकर उसकी सेवा करेंगे — आचार्य सवितानंद अवधूत
सेवा के पीछे समता भाव होना चाहिए। अर्थात् सबों में परम पुरुष हैं। सभी परम पुरुष की ही विभिन्न रूपों में अभिव्यक्तियाॅं हैं
जमशेदपुर। 18 दिसंबर 2021जमशेदपुर एवं उसके आसपास के युवा आनंद मार्गी
वैश्विक महामारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए निकटवर्ती आनंद नगर में
आनंद मार्ग के
सेवा धर्म मिशन’, के अर्द्ध-वार्षिक ‘उपयोगिता प्रशिक्षण शिविर’ के चौथे दिन प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुये आचार्य सवितानन्द अवधूत ने मानव जीवन में ‘सेवा’ के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सेवा नि:स्वार्थ होनी चाहिए। सेवा के पीछे समता भाव होना चाहिए। अर्थात् सबों में परम पुरुष हैं। सभी परम पुरुष की ही विभिन्न रूपों में अभिव्यक्तियाॅं हैं। फिर भी विकास क्रम में जो पीछे हैं या जो अवहेलित, शोषित हैं उन्हें सहयोग कर आगे बढ़ने में मदद करना सेवा है। उन्होंने कहा कि सेवा कर मनुष्य को सेवार्थी के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए क्योंकि उसके कारण ही उसे सेवा करने का अवसर मिला और यह परमात्मा की कृपा से ही होती है। यानि साधक-साधिकायें प्रत्येक जीव को परम पुरुष का ही विकाश समझकर उसकी सेवा करेंगे।
आचार्य अवधूत ने आगे कहा कि सेवा सिर्फ मनुष्य की ही नहीं होती है बल्कि पशु-पक्षियों, पेड़-पौधे, सजीव-निर्जीव सबकी होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सेवा चार प्रकार से की जा सकती है- शुद्रोचित, क्षत्रियोचित, विप्रोचित तथा वैश्योचित। विप्रोचित सेवा सर्वश्रेष्ठ होने पर भी शुद्रोचित सेवा का महत्व व्यावहारिकता में सबसे ज्यादा है। इससे मन पवित्र होता है साथ ही यह साधना के लिये उपयुक्त भूमि तैयार करता है। इस प्रकार सेवा धर्म साधना की आधारशीला और परिणाम दोनों है।
उन्होंने कहा कि मानव जीवन का मिशन सेवा और धर्म साधना करना है। सेवा से मन पवित्र होता है तथा उस पवित्र मन से ही धर्म साधना संभव होती है। धर्म साधना से भक्ति जगती है तथा परिपक्व होती है। पराभक्ति मनुष्य को परम पुरुष के शाश्वत भाव में प्रतिष्ठित करता है। अतः परम पुरुष के दिव्य भाव में अपने अस्तित्व के क्षुद्रत्व को मिलाकर स्वयं परम पुरुष-स्वरूप होना ही मानव मात्र का जीवन धर्म है। उन्होंने कहा कि सेवा और धर्म साधना दोनों त्याग की भावना पर आधारित है।
सभी उपस्थित साधकों ने ‘बाबा नाम केवलम्’ सिद्ध महामन्त्र का कीर्त्तन किया, तत्पश्चात साधना और गुरु पूजा। इस शिविर में संन्यासी आचार्यों के साथ दर्जनों साधक साधिकायें हिस्सा ले रहें हैं।
इस अवसर पर दिल्ली सेक्टर के चीफ सेक्रेटरी आचार्य लोकनाथानन्द अवधूत, आचार्य जगदात्मानन्द अवधूत (एरिया आर्गेनाइजर, इष्ट), आचार्य नित्यज्ञानानन्द अवधूत (एरिया आर्गेनाइजर, वेष्ट), आचार्य प्रज्ञानानन्द अवधूत(जोनल आर्गेनाइजर, आनन्द नगर) तथा आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत (जोनल आर्गेनाइजर, गंजाम) मौजूद थे।