पितृ दिवस पर फुरसत संस्था की ओर से ऑनलाइन साहित्यिक काव्य गोष्ठी आयोजित
जमशेदपुर।वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था फुरसत में ने पितृ दिवस आनलाइन मनाया ।सभी सदस्यों ने पिता को.समर्पित भावप्रवण काव्य पुष्प अर्पण किये
सरस्वती वंदना एवं मंच संचालन मथुरा से इंदिरा पाण्डेय ने करते हुए अपनी भावप्रवण पंक्तियों
से गोष्ठी की शुरुआत की–पिता…..
क्या लिखूं कि जब लिखने बैठी हूं हांथ कांप कांप जाते हैं. बचपन की वो धुंधली यादें बरबस आंखों के सामने आने लगी हैं। इसके पश्चात सर्व प्रथम प्रस्तुति के रूप में वरिष्ठ कवयित्री एवं संरक्षक आनंद बाला शर्मा की प्रस्तुति रही– फूलों से भरा वह पेड.
खडा है मेरे साथ आज भी ..
जैसे आप खडे रहते थे ..अपनत्व की छांह लिए।
दूसरी रचना अध्यक्ष एवं कवयित्री कथाकार पद्मा मिश्र की पढी गई पिता है आसमां, लेकर जिए विस्तार जीवन का,.धरा है मां, सहनशक्ति बनी आधार बचपन का ।
पिता की गोद करुणा.स्नेह का आधार होती है
वो सुख की छांव बरगद सी गहन संसार होती है।
अगली काव्य रचना वरिष्ठ कवयित्री डा सरित किशोरी
माँ के आंचल में मिला संरक्षण
अम्बर बन ढक लिया दुःख दर्द
वट वृक्ष की सुदृढ़ जड़ की हर
शाख से मुझे सशक्त बनाया *ने तालियां बटोरीं।
जीवन के झंझवत से ,,मेरे बाबूजी
और उसके पश्चात लोक गायिका.कवयित्री श्रीमती छाया प्रसाद ने अपनी कविता सुनाई
कैसे भूलें उस पल को,जो याद बहुत आती है।जब से होश संभाली थी,
हंसते खेलते, खाते पीते..बाबूजी की गोद ही पाई थी।अगली रचना वरिष्ठ भावप्रवण रचनाकार रेणुबाला मिश्र–पिता.का होना..सुरक्षा का अहसास..पितृहीन की दुनिया उदास ने सभी को भाव विह्वल कर दिया।
मीनाक्षी कर्ण की कविता थी–आपके गुस्सा मे भी प्यार झलक जाता है..आज भी वो स्नेह दिख जाता है
अब भी हर बात पूरी करने को रहते तत्पर
अपनी सामर्थ्य से अधिक करते हरदम.इसके पश्चात सचिव. कवयित्री डा मनीला कुमारी–तो पिता –
ही होते हैं,बच्चे को अपने वे-..छतरी की तरह ढाँक कर –
हर धूप -गर्मी से बचाते हैं l
अपने बच्चे को हर ख़ुशी देते हैं l.सुनाई थी.तत्पश्चात
आरती श्रीवास्तव की रचना *आसमां तू आज अकड ले…नही गम है मेरे पास..जब पिता हैं पास मेरे.
.छू लूंगी मैं तुम्हें आज*सुनाकर सबको प्रभावित किया।
लोकप्रिय कवयित्री अनीता निधि-ने -मेरे जीवन उपवन के
आप ही हो बट वृक्ष .जहां मैंने पाई है .सघन और सुखद छाया .अहमदाबाद से जुडी डा उमा सिंह ने सस्वर काव्य पाठ कर सबको सम्मोहित कर दिया। पिता.हम हैं तुम्हारा अभिमान हैं
.धन्यवाद ज्ञापन छाया प्रसाद ने किया।