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झारखंड आंदोलनकारियों का एक मिलन समारोह मोंगरा नदी के तट पर संपन्न हुआ

राज्य में चल रहे राजनितिक उठापटक के कारण समारोह में शामिल नहीं हो सके मंत्री दीपक बिरूवा

आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने फोन से आंदोलनकारियों को संबोधित किए और अभिवादन किया स्वीकार

चाईबासा। झारखंड आंदोलनकारियों की एक मिलन समारोह मोगरा नदी के तट पर आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी श्री बामेश बेहरा ने किया और संचालन नवाज हुसैन उर्फ बिरसा ने किया। मिलन समारोह में कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिला से झारखंड आंदोलनकारी शामिल हुए इस अवसर पर सभी झारखंड आंदोलनकारीयों ने विचार विमर्श करने के बाद एक निष्कर्ष निकाला की झारखंड आंदोलनकारीयों को झारखंड चिन्हितकरण आयोग के द्वारा जो सम्मान ,अवसर , प्रशस्ति पत्र दिया जा रहा है उससे असहमत है । यही वजह है की बहुत सारे झारखंड आंदोलनकारी प्रशस्ति पत्र और सम्मान के लिए आयोजित समारोह में शामिल नहीं हुए ऐसे आंदोलनकारीयों का संख्या बहुत अधिक होने के कारण झारखंड आंदोलनकारीयों के द्वारा दिन भर का मंथन करने के बाद यह निर्णय लिया की झारखंड सरकार को अपनी भावनाओं से अवगत कराने के लिए जल्दी ही मांग पत्र तैयार करके प्रेषित किया जाएगा ।इस अवसर पर झारखंड आंदोलनकारी पूर्व विधायक बहादुर उरांव जी ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी इस राज्य के लिए अपने भविष्य को ध्यान में ना रखते हुए भावी पीढ़ी के लिए त्याग और बलिदान दिया है। इसलिए जिस तरह छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में उस राज्य को अलग करने के लिए आंदोलन करने वाले आंदोलनकारियों को सम्मान दिया गया । उसी के तर्ज पर झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन करने वाले आंदोलनकारीयों को अवसर, सम्मान और विशेष आयोजन करें सरकार और उस आयोजन में सम्मानित करने का काम करें। झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि राज्य बनने के इन 23 वर्षों में झारखंड आंदोलनकारीयों ने इसके पहले की सरकार से इस उम्मीद में कोई कोआर्डिनेशन नहीं बनाया की सरकार का ध्यान झारखंड आंदोलनकारीयों के प्रति रहेगा हालांकि झारखंड सरकार ने 2012 में झारखंड आंदोलनकारी चिंहितिकरण आयोग का गठन तो किया लेकिन झारखंड आंदोलनकारी को सम्मान देने के लिए जिस तरह से श्रेणीबद्ध करते हुए अवसर सम्मान और प्रशस्ति पत्र देने का घोषणा किया है वह झारखंड आंदोलनकारी के लिए स्वागत योग्य नहीं है इसीलिए आज कोल्हान प्रमंडल के सभी झारखंड आंदोलनकारी को एक मिलन समारोह के माध्यम से उनका विचार आमंत्रित किया गया जिससे यह पता चला कि वह कहीं ना कहीं उपेक्षित हैं इसलिए आज यह निर्णय लिया गया है की आने वाला कल में झारखंड सरकार को मांग पत्र देने के बाद झारखंड आंदोलनकारीयों की उस मांग पर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो फिर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के लिए मजबूर होंगे।इधर राज्य में चल रहे राजनितिक उठापटक के कारण इस मिलन समारोह में राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने फोन से आंदोलनकारियों को संबोधित किए,साथ ही श्री बिरूआ ने आंदोलनकारियों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण दिलाने की बात कही।आदोलनकारियों का फोन से मंत्री दीपक बिरुआ ने बधाई स्वीकार कर धन्यवाद किया। अलग झारखंड राज्य आंदोलनकारी आयोग के द्वारा घोषित सदस्यों ने अपने अन्य आंदोलनकारी साथियों को चिन्हित किए जाने के बहाने दीपक बिरूआ को मंत्री बनाने के खुशी में भोज कार्यक्रम आयोजित किया गया।चाइबासा के विधायक दीपक बिरूआ को मंत्री बनाने की खुशी और आंदोलन करने वाले साथी बंधुओं को चिन्हित कार्यक्रम में झारखंड राज्य आंदोलनकारी मंगल सिंह बोबोंगा, नवाज़ हुसैन बिरसा सोहैल अहमद, कृष्णा सिनकु, कर्नल, शाहिद आलम उर्फ ननकु, इज़हार राही, मकसूद आलम के साथ साथ झामुमो के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री निसार हुसैन उर्फ डोगर के उपस्तिथि में आयोजित किया गया है,इस कार्यक्रम में चंपई सोरेन सरकार में मंत्री बनने दीपक बिरूआ को भी शामिल होना था,लेकिन राज्य में राजनीतिक स्थिरता होने के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके,फोन पर ही बधाई स्वीकार कर धन्यवाद किया।

झारखंड आंदोलनकारी की मिलन समारोह में झारखंड आंदोलनकारी केपी सेट सोय, आसमान सूंडी, ज्वाला कोड़ा, डोगर, इजहार राही , कृष्ण सिंकु, सीताराम लागुरी, सुधीर मुंडू , बुधराम लागुरी, मानसिंह बांकिरा, रोयाराम चंपिया, ज्ञान कोड़ा , उपेंद्र लगुरी ,बैद्यनाथ गोप राजू दास, शरण पान, डेबरा तुबिड, हरीश महतो, सन्नी सिंकु, कोलंबस हसदा ,विनोद सवैयां , रेयांस सामड, अमृत माझी, शैली शैलेंद्र सिंकु, ब्रजकिशोर सिंकु, घनश्याम हेंब्रम, बलभद्र सुंडी, दयानंद मालवा, नन्कू, सोहेल अहमद, सोमनाथ लगुरी ,गोविंद कोड़ंगकेल, अजय महतो और अन्य झारखंड आंदोलनकारीयों ने भी अपना पीड़ा मिलन समारोह के अवसर पर व्यक्त किया। झारखंड आंदोलनकारी मिलन समारोह में कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिला से लगभग 500 झारखंड आंदोलनकारी उपस्थित थे।

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