FeaturedJamshedpurJharkhandNational

पर्यावरण संरक्षण के लिए मनुष्य का हो विचारों से शुद्धिकरण


पर्यावरण का अर्थ है हमारे आसपास का आवरण ,परि+ आवरण= पर्यावरण|
सामान्य तौर पर जल,थल और नभ ( वायु) पर्यावरण संरक्षण पर बात होती है कि यहां पर जो प्रदूषण फैल गया है उसको हम समाप्त करें, कुछ उपाय करें, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण और क्षेत्रों में भी आ जाता है जैसे विचार, आदतें, व्यवहार|
पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत पशु-पक्षियों,जल स्रोतों,थल पर होने वाली गतिविधियों, वायु में होने वाली गतिविधियों में भी पर्यावरण संरक्षण की नितांत आवश्यकता है|
मानवीय प्रकृति ही ऐसी है कि जब तक कोई हानि नहीं होती तब तक मानव व्यवहार में परिवर्तन नहीं लाता|
हानि से होने वाले प्रभाव तक नहीं जा सकता है|
तत्काल लाभ की कामना से प्रेरित होकर कार्य करता रहता है|
आज भी व्यक्ति विचारों से आदमखोर ही है, सिर्फ मुझे सुख मिल जाए, प्रकृति भले ही नष्ट हो जाये,इसकी चिंता मन में आती ही नहीं है|
कहने को तो हम आधुनिक वैज्ञानिक युग में आ चुके हैं, लेकिन विचारों से आदमखोर ही सिद्ध होते दिखाई देते हैं| शिकारी व्यक्ति अपनी शौक के लिए तोता चिड़िया कबूतर बाज कौआ चील कोयल चींटी छिपकली बंदर भालू शेर चीता तेंदुआ चीतल नीलगाय बारहसिंगा हिरण,गाय,भैंस ऊंट, कुत्ते, कछुआ, मछली का शिकार करते हैं, शासन द्वारा शिकार प्रतिबंधित भी है, लेकिन आदमखोर आदमी मानता कब है, मानता इसलिए नहीं है कि उसके विचारों में प्रदूषण है, आवश्यकता है इन बुरे विचारों को समाप्त करने की|
मानवीय सरोकार को बदलने की आवश्यकता है| जीव हत्या बंद करने की आवश्यकता है| पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं और पेड़ – पौधों के साथ मानव के साहचर्य का इतिहास वर्षों पुरातन है,जब से मानव इस धरती पर आया है,तब से ही साथ साथ रहा है और एक दूसरे को साथ देता आया है, एक दूसरे का संरक्षण करता आया है|
मानव ने अपने बुद्धि-विवेक से घोड़े,हाथी,ऊंट को सबारी के लिए,बजन ढोने के लिए, उनसे मित्रता की, उन्हें संरक्षण दिया, उनके भोजन पानी, और आवास की व्यवस्था की, इसके बदले में उन्हें आजीवन जोता| कबूतरों को पालकर संदेशवाहक बना दिया गया,गाय भैंस बकरी पालन कर उनका दूध पीने लगा अपने को शक्तिशाली बनाने लगा, कुत्ते से घर और जान- माल की रक्षा करवाने लगा| वास्तव में मानव बड़ा स्वार्थी जीव है|
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपने विचारों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, यदि विचार शुद्ध हो गये तो फिर पर्यावरण भी शुद्ध हो जाएगा|
— महेश प्रसाद शर्मा बरेली जिला रायसेन मध्यप्रदेश

Related Articles

Back to top button