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पर्यावरण संतुलन

पर्यावरण संतुलन
महेश प्रताप सिंह शहर के जाने माने नेता समाजिक कार्यकर्त्ता और उच्च कोटि के विद्वान् हैं l दिन रात समाज सेवा में लगे रहते प्रकृति के संरक्षण के प्रति भी जागरूक हैं l वो इस बात पर हमेशा जोर देते की पर्यावरण की रक्षा करके ही हम पृथ्वी को बचा सकते हैं,और मैं क्या कहू बस इतना समझ लीजिये प्रकृति और उनका चोली दामन का साथ है l तभी तो उन्होंने ग्रीन एरिया में ही अपना बहुत बड़ा फार्म हॉउस बनवाया है l हलाकि उस एरिया में कंस्ट्रक्शन मना है लेकिन उन्हें कौन रोक सकता है?
ज़ब भी काम से वो ब्रेक लेते तो प्रकृति की गोद में बने अपने सुन्दर शांत फार्म हाउस में रहने चले आते l उस दिन भी वो वही आ रहे थे कि तभी रास्ते में मौसम खराब होने लगा l उन्होंने ड्राइवर से गाड़ी तेज चलाने को कहाl गाड़ी अपने गंतव्य पर पहुंच ही चुकी थी, कि तभी अचानक बादल फटने के कारण शीतल शांत बहने वाली गंगा नदी अपने तट बंधो को तोड़ती हाहाकार मचाती हुई प्रलयकारी बन गईं l देखते देखते आस पास के समस्त विराट भवनों को कागज की नाव की तरह बाहती चली गईं l महेश प्रताप सिंह को भी गंगा की उस भयंकर गर्जना से डर लग रहा थाl उनके सामने ही उनका सपनो का महल तिनके की तरह बह गया था!वो हतप्रभ खडे थे l नदी की भयंकर नाद में उन्हें नदी की विद्रुप हँसी सुनाई दे रही थी l मानो वो कह रही हो -“तुम सब हमारी चिंता मत करो बस खुद को बचाये रखो l देखा – न मैंने कैसे अपने अस्तित्व को पुनःपा लिया?”

रिम्मी वर्मा
रांची झारखण्ड

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