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पर्यावरण मेले के दूसरे दिन चित्रांकन प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

रांची। राँची के मोरहाबादी मैदान में चले रहे पर्यावरण मेला-2023 के दूसरे दिन राज्यस्तरीय चित्रांकन एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। चित्रांकन का विषय ‘द ब्लू प्लेनेट (नीला ग्रह)’ एवं निबंध का विषय ‘क्लाईमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन)’ था। प्रतियोगिता में विजयी छात्रों को मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया।

मेले में बिक्री के लिए काष्ठ निर्मित कलाकृति, हर्बल उत्पाद आदि के स्टाॅलो सहित मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों के स्टाॅल में वहाँ के पारम्परिक उत्पाद का प्रदर्शनी लगाया गया, जिसमें युवा वर्ग की काफी भीड़ देखी जा रही है। कड़ी धूप के बावजूद अप्रत्याशित भीड़ एवं बिक्री से स्टाॅलधारक भी काफी खुश है।

इस अवसर पर पर्यावरण मेला के संरक्षक, श्री सरयू राय ने कहा कि इस तरह के आयोजन से पर्यावरण के बारे में, प्रकृति के बारे में, आस-पास के परिवेश के बारे में जानने-समझने का अवसर मिलता है। बच्चों की चित्रकारी एवं निबंध की मौलिकता, गंभीरता एवं गहराई को देखकर हमें काफी खुशी हुई है। आज के बच्चें हमारे बचपन की तुलना में पर्यावरण के प्रति काफी गंभीर है एवं प्रदूषण के कुप्रभाव, जंगलों के कटाव के कारण होने वाली पर्यावरणीय असंतुलन के प्रति अधिक चिंतित है। मैं इस मेले के आयोजकों को सुझाव दूंगा कि जो उत्कृष्ट कोटि के निबंध एवं चित्र बच्चों ने इस मेला प्रांगण में बनाये है, उन्हें अपने आगामी स्मारिका में जगह दे। ताकि इन बच्चों के साथ आज के युवा पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिले।

आज जिस तरह से मौसम में अनियमित बदलाव हो रहे हैं उसके लिए कहीं न कहीं हमारे पीढ़ी भी काफी हद तक जिम्मेदार है। आजादी के बाद जब प्रथम एवं द्वितीय पंचवर्षीय योजनाकाल में उद्योगों/कारखानों की स्थापना हुई और कारखानों के चिमनियों से धुआँ निकला तो उसे विकास का सूचक, विकास का द्योतक माना जाता था। लोग उन धुओं को देखकर हर्षित होते थे। वे आने वाले पर्यावरणीय समस्याओं से पूर्णतः अनजान बने रहे, जिसका खमियाजा आज की पीढ़ी भुगत रही है। पहले भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद एवं बसंत ऋतु जैसे चार ऋतुएं होती थी। परन्तु पर्यावरण के प्रति हमारी उपेक्षा एवं लापरवाही के कारण बसंत ऋतु समाप्त हो गये है, ग्लोबल वार्मिंग का असर भारत में भी स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। ऋतु चक्र अनियमित हो गये है, जिसका सबसे अधिक कुप्रभाव जंगली जीव-जन्तुओं और किसानों पर सबसे अधिक पड़ा है। आज उर्वरकों की व्यापक प्रयोग के बाद भी फसलों की उत्पादकता में कमी आयी है। आनेवाले वर्षों में वायुमंडल और उसके आयामों की गुणवत्ता में और अधिक गिरावट न आये इसके लिए हमें प्रयास करना होगा। जो पर्यावरणविद्, प्रकृतिप्रेमी पर्यावरण संरक्षण के भागीरथी प्रयास में लगे हुए है, उनके प्रयास का हमें सम्मान करना होगा। तभी इस मेले की प्रासंगिकता और सार्थकता बनी रहेगी।
राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के विशिष्ट अतिथि, खादी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष, श्री जयनन्दु ने कहा देश के किसी भी कोने में चाहे वह संस्था सरकारी हो, अर्द्धसरकारी हो या फिर निजी संस्थान किसी ने भी इस तरह के पर्यावरण मेला का आयोजन नहीं किया है। इससे देश व राज्य के संस्थानों का पर्यावरण के प्रति रवैया और गंभीरता का अंदाजा स्वतः ही लग जाता है। श्री सरयू राय जी बधाई के पात्र है कि उनके द्वारा चलाये गये पर्यावरण जागरूकता अभियान के कारण जिस तरह दामोदर नद का कायाकल्प हुआ है, वह प्रशंसनीय है। मेले में जिस तरह की भीड़ देखी जा रही है उससे उम्मीद बंधती है कि लोग पर्यावरण के प्रति गहरी रूचि रखते है। इस तरह के मेले और कार्यक्रमों का आयोजन राज्यस्तर और राष्ट्रीयस्तर पर होना चाहिए ताकि नई पीढ़ी के बच्चे पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण के प्रति सजग रहे।
राज्यस्तरीय प्रतियोगिता की समाप्ति के बाद झारखण्ड के कलाकारों द्वारा पुरूलिया छऊ नृत्य का प्रदर्शन किया, जिसे मेले में आये हुए अपार भीड़ मंत्रमुग्ध देखते रहे।
विश्वविद्यालय स्तर पर निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के विक्की सिंह, द्वितीय स्थान पर डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के ही फरहीन फिजा एवं तृतीय स्थान पर उषा मार्टिन विश्वविद्यालय, राँची के सुयश सौम्य रहे।
विश्वविद्यालय स्तर पर चित्रांकन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के रितेशना राज, द्वितीय स्थान पर विमेन्स काॅलेज, राँची रकशन्दा नूर एवं तृतीय स्थान पर उषा मार्टिन विश्वविद्यालय, राँची के रिया मंडल रही।
विद्यालय स्तर पर निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर $2 उच्च विद्यालय, कंडसार, कटकमसांडी, जिलाझारीबाग की वर्षा कुमारी, द्वितीय स्थान पर एस.एस. गल्र्स हाई स्कूल, जिला-चतरा की मनीषा कुमारी एवं तृतीय स्थान पर $2 आदर्श कन्या उत्क्रमित उच्च विद्यालय, पोखरिया, जिला-साहेबगंज की शिवानी कुमारी रही।
विद्यालय स्तर पर चित्रांकन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर के.जी.बी.वी. जिला-गोड्डा की रिया कुमारी, दूसरे स्थान पर $2 जिला स्कूल, जिलाझारीबाग के प्रीत राज एवं तृतीय स्थान पर आनंदा उच्च विद्यालय, जिला- हजारीबाग के निलेश कुमार रहे।
राज्यस्तरीय प्रतियोगिता को सफल बनाने में मुख्य रूप से ज्योति प्रकाश, आशीष मुंडा, अंशुल शरण, मनोज सिंह, शिवानी लता, दीपांकर कर्मकार, अमित कुमार, पवन कुमार, मुकेश सिंह, ब्रजेश शर्मा, माधुरी कुमारी, पुष्पा की भूमिका रही।

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