नई शिक्षा नीति को लागू करना बेहद जरूरी: बड़भूईयां बाल मेला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सेमिनार आयोजित
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जमशेदपुर
एनसीईआरटी के डॉ. रेजाउल करीम बड़भुइया ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करना आज देश की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मिक्स ऑफ सबजेक्ट अच्छी बात है लेकिन बच्चा इसके लिए कितना तैयार है, संस्थान इसके लिए कितना तैयार हैं, ये भी देखना पड़ेगा। यह सच हे कि इस शिक्षा नीति का मकसद भारत को आगे बढ़ाना है। लेकिन हमें इस पर भी मनन करना होगा कि सोसाईटी आगे बढ़ने को तैयार है अथवा नहीं। वह स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के तरफ से आयोजित बाल मेले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित सेमिनार में अपनी बात रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि सच को सच और झूठ को झूठ समझ पाना आज की बड़ी चुनौति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नई तकनीक पर बहुत जोर दे रही है। एनसीईआरटी ने सलाह दी है कि एक साल का ब्रिज कोर्स चलाया जाय ताकि बच्चे और संस्थान दोनों अपने मकसद में कामयाब हो सके। उन्होंने कहा कि पॉलिसी को शुद्ध रूप् से लागू करने के लिए पूरी सोसाईटी, बच्चे, संस्थान और शिक्षक सभी को मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ेगा। इसके लिए निरंतर मेहनत करने की बहुत आवश्यकता है।
डॉ. संध्या सिन्हा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की पृष्ठभूमि विषय पर कहा कि भारत में सबसे पहले गुरूकुल शिक्षा प्रणाली थी। इसके बाद मकतब और मदरसों में शिक्ष दी जाने लगी। बाद में अंग्रेज आये जिन्होंने अग्रंेजीयत थोपना शुरू किया, लेकिन भारतीयों के स्वाभिमान और संस्कृति को बचाने के लिए किया गया विरोध रंग लाया। 1948 में डॉ. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में यूजीसी का गठन हुआ। 1952 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का गठन हुआ जिसका मकसद था कि बच्चे विजनरी बने। फिर 1964 में कोठारी आयोग गठित किया गया, जिसमें त्रिभाषा फार्मूले पर चर्चा हुई। उस दौर में कुल राष्ट्रीय आय का 6 प्रतिशत शिक्षा के लिए तय कर दिया गया। 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई, जिसमें 10$2$3 को अपनाया गया। इसके बाद ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड लान्च किया गया। 1994 में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने पर ध्यान दिया गया। जिसके तहत 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून बना। 29 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरू की गई इसका ढांचा अलग है। यहां 5$3$4 के सिस्टम को लागू किया गया। क्योंकि इस नीति का मानना है कि इसी तरीके से हम भविष्य में आगे बढ़ सकते हैं।
डॉ. मनोज कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में बताया कि इसका उद्देश्य शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाना, रचनात्मक क्षमताओं को विकसित करना और नॉलेज सुपर पावर बनाना है। इस नीति में पुरानी व्यवस्था की खामियों को दूर किया गया है। नई शिक्षा नीति में ओवरऑल डेवलपमेंट की बात की गई है। इस नीति में भी राज्य और केन्द्र सरकार को शिक्षा पर अनिवार्यता जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने की बात की गई है।
डॉं संजय गुईयां ने कहा कि 75 साल पहले जिस शिक्षा नीति पर हम चले, उससे हमने काफी कुछ हासिल किया। लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से हम पुराना गौरव हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति में पर्याप्त लचीलापन है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि इस नीति के लागू होने से दस से पंद्रह साल में पूरा देश बदल जायेगा। उन्होंने अपने दौर को याद करते हुए कहा कि पहले किसान सबसे उपर था, व्यापार करने वाला मध्य में था, जबकि नौकरी करने वाला सबसे अंत में गिना जाता था। अब यह एकदम से उलट गया है। उन्होंने कहा कि इजरायल, युक्रेन और रूस में युद्ध हो रहा है, जिससे किसी का भला नहीं हो रहा है। भारत में इस बात को लेकर मंथन होना चाहिए और लगातार होनी चाहिए कि भारत आगे कैसे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर दानवी ताकतों को परास्त करना है तो नई शिक्षा नीति को लागू करना बेहद जरूरी है।