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देश को समृद्ध करने वाला बजट : सरयू राय

जमशेदपुर। केन्द्र सरकार का 2022-23 का वार्षिक बजट विकास की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में भारत को उच्च स्थान पर ले जाने वाली अधोसंरचना खड़ा करने तथा भारत की अर्थव्यवस्था को 5000 करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये ज़रूरी प्राथमिकता निर्धारित करने वाला बजट है. देश में बढ़ती महंगाई, आर्थिक असमानता, बेरोज़गारी दूर करने की झलक बजट प्रस्तावों में नहीं दिख रही है।
बजट में शहरी जनसंख्या में हो रही वृद्धि और बेतरतीब शहरीकरण से उत्पन्न समस्या की चर्चा तो की गई है, पर दिन पर दिन मंहगा होते जा रहे शहरी जीवन की समस्या को दूर करने का कोई उपाय नहीं किया गया है। शहरी ग़रीबी को दूर करने की दिशा में ठोस प्रयास का अभाव बजट में है।
आर्थिक असमानता को कम करने तथा कर मुक्त आय की सीमा बढ़ाने की उम्मीद इस बजट से पूरा नहीं होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा और 5000 करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये महँगी संरचनाओं को खड़ा करने दबाव में लिये जाने वाले संभावित निर्णयों के कारण आर्थिक असमानता बढ़ेगी। बजट में घोषित कल्याणकारी योजनायें गैरबराबरी कम करने में कामयाब नहीं होंगी. कम आय वर्ग के लोग और कम पूँजी वाली आर्थिक गतिविधियों के लिये प्रभावी सहूलियत का बजट में अभाव है।
कुल मिलाकर यह बजट देश के समृद्ध करने वाला है। देश को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा के लिये तैयार करने वाला है, महँगी संरचनायें खड़ी करने वाला है. पर देश के सामान्य वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग एवं मज़दूर वर्ग की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने वाला बजट नहीं हैं।

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