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तुलसी भवन में भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के दूसरे दिन भोजपुरी भाषा को लेकर संगोष्ठी आयोजित

संध्या बेला में देश विदेश से आए 45 कवि गणों ने भी एक से बढ़कर एक प्रस्तुति, शानदार रहा कवि सम्मेलन

जमशेदपुर। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन प्रातः के प्रथम सत्र में संगोष्ठी का विषय था, ‘झारखंड में भोजपुरी’।

प्रथम सत्र के वक्ता थे, प्रभात खबर के सम्पादक श्री संजय मिश्र ने जमशेदपुर के भोजपुरी साहित्य सेवको के योगदान को उल्लेखित किया, पत्रकार श्री दुर्योधन सिंह ने भोजपुरी के दुर्दशा के लिये राजनीतिक नेतृत्व को दोषी बताया विमर्शक श्री दिव्येन्दु त्रिपाठी ने तथ्यों के साथ झारखण्ड के नागपुरी इत्यादि भाषाओं को भोजपुरी का ही रूप बताया। संगोष्ठी की अध्यक्षता समाजसेवी श्री ए के श्रीवास्तव, और संचालन प्रसेनजित तिवारी ने किया। दूसरे सत्र में संगोष्ठी का विषय विषय पटल पर भोजपुरी। इस सत्र की अध्यक्षता मॉरीशस से आयी डॉ सरिता बुधु एवं वक्ता रहे नेपाल से भाषा आयोग के अध्यक्ष श्री गोपाल ठाकुर एवं गोपाल अश्क थे। तीसरे सत्र में विषय था। ‘उपन्यास के वैश्विक परिदृश्य आ भोजपुरी उपन्यास’ था, इसकी अध्यक्षता श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी, संचालन दिल्ली से आये डॉ राजेश कुमार मांझी ने किया।
भोजनावकाश के पश्चात समापन सत्र की अध्यक्षता श्री ब्रजभूषण मिश्र एवं मुख्य अतिथि थे कलकत्ता से आये कोल इंडिया के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री ब्रजेश कुमार त्रिपाठी थे। इस सत्र में मंचासीन रहे डॉ सरिता बुधु, आचार्य हरेराम त्रिपाठी चेतन, डॉ महामाया प्रसाद, प्रसेनजित तिवारी, डॉ जयकांत सिंह जय, डॉ अजय ओझा एवं संचालन किया सूरज सिंह राजपूत ने। मुख्य अतिथि ब्रजेश कुमार त्रिपाठी ने सभी भोजपुरीया को आह्वान किया कि सभी तन मन धन से माई भाषा की सेवा में निष्ठापूर्वक सक्रिय हों । समापन में 11 प्रस्ताव प्रस्तुत हुए जिन्हें कुछ संसोधनों के साथ सर्वसम्मति से पारित किया गया। जिसमें प्रमुख था केंद्र सरकार से आग्रह हुआ कि शीघ्रता से भोजपुरी को अष्टम सूची में स्थान दिया जाय। प्रसेनजित तिवारी ने झारखण्ड सरकार से आग्रह किया कि भोजपुरी को पुनः द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जाय, जिसका समर्थन डॉ संजय पाठक ने किया और सभा ने सर्वसम्मति दी। समापन सत्र में पिछले वर्षों में दिवंगत हुए भोजपुरी विद्वानों के शोक में दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई। स्वागत भाषण प्रसेनजित तिवारी ने, धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय ओझा ने दिया।

संध्या में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में 45 कवियों ने अपनी रचनाओं का सस्वर पाठ कर सबों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की डॉ कमलेश राय, श्री ब्रजमोहन देहाती, डॉ रवीकेश मिश्र ने किया। कवि सम्मेलन का उद्घाटन दिनेश्वर सिंह दिनेश ने किया। संचालन संध्या सिन्हा एवं गुलरेज शहजाद द्वय ने किया। प्रमुख कवियों में दिल्ली से आये मनोज भावुक, कोलकाता से आये ब्रजेश त्रिपाठी, मुजफ्फरपुर से जयकांत सिंह जय, राँची से कनक किशोर, जमशेदपुर से डॉ अजय ओझा, माधव पाण्डेय निर्मल, रीना सिन्हा, पूनम सिंह, उपासना सिंह, दिव्येन्दु त्रिपाठी, माधवी उपाध्याय, पूनम शर्मा स्नेहिल, डॉ वीणा पाण्डेय भारती, लक्ष्मी सिंह, राजेन्द्र शाह राज, सविता सिंह मीरा, शकुंतला शर्मा, शिप्रा सैनी मौर्या, पूनम महानंद इत्यादि सहित, गोरखपुर, कानपुर, देवरिया, छत्तीसगढ़ से आये कवियों ने भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

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