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तीन अक्षर का नाम – माँ


क्या कहूँ मैं, मेरे लफ्ज़ नहीं कर सकते बयां।
ये तीन अक्षर के नाम को, शाक्शात ईश्वर का स्वरूप है माँ…
नौ महीने जो कोख में रखती, वो होती हैं माँ…
बच्चे की पहली पुकार होती हैं माँ…
उस पुकार से दुसरा जन्म लेने वाली होती हैं माँ…
जो रात- रात जागकर लोरी सुनाए वो होती हैं माँ…
बिस्तर गिला होने पर गिले में सो जाए वो होती हैं माँ…
घर-भर खाना घुम- घुम कर खिलाए वो होती हैं माँ…
जब थोड़ी समझ आए, हर पल समझाने वाली होती हैं माँ…
गलती पर मार / डाट दिखाती है माँ…
हमारे दुख मे सबसे ज्यादा रोती है माँ, हमारे सुख में मुस्कुराने वाली होती हैं माँ…
जब नाराज हो जाए सबसे पहले मनाती है माँ, पापा की डाट का हर पल डर दिखाती हैं माँ…
अपने सभी बच्चों के लिए समान प्रेम दिखाती है माँ…
कहीं बाहर जाए तो खाना खाया कि नहीं पहला सवाल करने वाली होती हैं माँ…
घर को घर बनाने वाली होती हैं माँ, बच्चों की पहली पुकार होती हैं माँ…
मेरी कलम में ताकत नहीं जो बयां कर सकें;
इस तीन अक्षर के शब्द को; ईश्वर का रूप होती हैं माँ…
– कु.पारूल सुनील माचेवार गोंदिया (महाराष्ट्र)

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