FeaturedJamshedpurJharkhand

तीनों लोकों में माता का धाम मणिद्वीप से सुंदर कुछ नहीं – विजय गुरूजी

बिष्टुपुर राम मंदिर में पूर्णाहुति एवं भंडारा के साथ देवी भागवत कथा का विश्राम

जमशेदपुर। श्रीविद्या शक्ति सर्वस्वम, चेन्नई के तत्वाधान में श्रीमाता ललिताम्बिका राजराजेश्वरी त्रिपुरसुंदरी की अत्यंत महत्ती कृपा से बिष्टुपुर राम मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डात्मक सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद देवी भागवत, कथा ज्ञान यज्ञ नौवें दिन गुरूवार को मणिद्वीप निवासीनी पराम्बा की पूर्णाहुति एवं भंडारा के साथ कथा का विश्राम हुआ। भंडारा के बाद पहले दिन कलश उठाने वाली महिलओं के बीच पवित्र कलश का वितरण किया गया।

इससे पहले आज सुबह 9 बजे से कथा का शुभारंभ हुआ जिसमें पूज्यनीय आचार्य विजय गुरूजी ने गायत्री महिमा, देवी के मणिद्वीप धाम तथा भगवती के मुख्य धाम की कथा का विस्तार से वर्णन किया। ब्रह्मलोक के ऊपर देवी के मुख्य धाम मणिद्वीप का वर्णन करते हुए गुरूजी ने कहा कि जहां भगवती स्वयं विराजमान हैं। जिस प्रकार भगवान शिव का लोक कैलास, विष्णु का वैकुंठ, और गौलोक है, उससे श्रीश्रेष्ठ धाम पराम्बा भगवती का धाम मणिद्वीप है। यह मणिद्वीप तीनों लोकों का छत्रस्वरूप है। तीनों लोकों में इससे सुंदर कुछ भी नहीं है। इसीलिए इसे सर्वलोक कहा गया है। मां भक्तों के कल्याण के लिए सिद्धपीठ विन्ध्याचल में सशरीर विराजित माता विंध्यवासिनी का धाम मणि द्वीप के नाम से विख्यात है। यहां माता अपने तीनों रूप महालक्ष्मी, महाकाली व महासरस्वती के रूपों में तीन कोण पर विराजमान हो कर भक्तों को दर्शन देती हैं। देवी का त्रिकोण करने से पूर्ण होती है मां विंध्यवासिनी की आराधना और पूरी होती है हर मनोकामना। गुरूजी ने कहा कि मणिद्वीप निवासीनी पराम्बा की पूर्णाहुति का आज जो भी मानव (भक्त) ने दर्शन एवं माता पर विश्वास कर मन में जो भी कामना किया होगा मॉ उसका मनोरथ अवश्य पूर्ण करेगी।
गायत्री मंत्र की महिमा महानः- उन्होंने आगे कहा कि गायत्री सभी मंत्रों को शक्ति प्रदान करती हैं। गायत्री मंत्र की महिमा महान है, आत्मसाक्षात्कार के जिज्ञासुओं के लिए यह मंत्र इश्वारिये वरदान है। केवल गायत्री मंत्र ही, बिना समर्थ गुरु के सतत सानिध्य के बिना आत्मसाक्षात्कार करने में समर्थ है। गायत्री मंत्र का जप, शापोद्धार मंत्र करके ही करना चाहिए, अगर शापोद्धार मंत्र नहीं करते हैं तो अपने गुरु का अस्मरण कर ले। गुरु अस्मरण कर लेने से विश्वामित्र और वाशिस्था जी के शाप से मुक्त हो जाती है। इसीलिए सभी को रोज गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
तन और मन रखंे पवित्रः-गुरूजी ने आगे कहा कि जीवन में सदा पवित्र होकर रहना चाहिए। जो तन-मन दोनों से पवित्र रहता है, उसकी प्रार्थना देवी-देवता शीघ्र सुनकर फल प्रदान करते हैं। तन की पवित्रता के लिए स्नान आदि बताए गए हैं। मन की पवित्रता के लिए मंत्र, जप और भगवती का ध्यान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस धार्मिक कार्यक्रम की पूर्णाहुति गुरूवार को दोपहर में हुई। तत्पश्चात भंडारा का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण प्रसाद ग्रहण किये। भंडारा के बाद पहले दिन कलश उठाने वाली महिलओं के बीच कलश का वितरण किया गया।
इनका रहा योगदानः- श्रीविद्या शक्तिसर्वस्वम् चेन्नई के नेतृत्व में टाटानगर ईकाई द्धारा लौहनगरी में दूसरी बार आयोजित हुए नौ दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाने में प्रमुख रूप से अशोक दाहिमा, दिलीप कुमार रिंगसिया, राजेश पसारी, पवन अग्रवाल, बिमल गुप्ता, आशीष अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, मनोज गुप्ता, अशोक भालोटिया, गजानन्द भालोटिया, अशोक चौधरी, विश्वनाथ महेश्वरी, निर्मल काबरा, अशोक मोदी, गगन रूस्तोगी, ललित डांगा, संदीप बजाज, पंकज छावछरिया, भरत भूषण अग्रवाल, महेश सिंघानिया, महावीर अग्रवाल आदि का योगदान रहा। साथ ही शहर की सामाजिक एवं धार्मिक संस्था श्री श्याम भटली परिवार चौरिटेबल ट्रस्ट जमशेदपुर, श्रीराणी सती सत्संग समिति जुगसलाई जमशेदपुर, आंघ्र भक्त श्रीराम मंदिर बिष्टुपुर प्रबंधक कमिटी, श्री श्याम केन्द्रीय समिति जमशेदपुर, भयली महिला मंडल सोनारी, श्री राजस्थान भवन कमिटी सोनारी, श्री सत्यनारायण मंदिर कमिटी बिष्टुपुर, श्री राजस्थान भवन कमिटी बिष्टुपुर समेत शहर की अन्य कई संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। आयोजनकत्ताओं ने कार्यक्रम सफल होने पर सभी भक्तों एवं सहयोगी संस्थाओं का आभार प्रकट किया।

Related Articles

Back to top button