तिल की खेती से महिला किसान बिजोला सरदार ने बनाई अलग पहचान, किसानों के लिए बनीं प्रेरणास्रोत
झारखण्ड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी (जेटीडीएस) से सहयोग प्राप्त कर 70 डिसमिल खाली पड़े बंजर जमीन पर शुरू किया तिल की खेती
कम सिंचाई या अल्प बारिश में भी होती है तिल की अच्छी उपज
बिजोला सरदार से प्रभावित होकर पोटका तथा डुमरिया प्रखंड में कुल 14 पंचायत के 69 गांवों में लगभग 385 किसान कर रहे तिल की खेती
पोटका प्रखण्ड के सुदुरवर्ती नारदा पंचायत के कुंदरूकोचा गांव की महिला किसान बिजोला सरदार आसपास के क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं । वर्षों से धान और सब्जी की परम्परागत खेती करते आ रही है बिजोला सरदार ने पिछले साल झारखण्ड सरकार की अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ईकाई झारखण्ड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी (जेटीडीएस) से जुड़कर और सहयोग प्राप्त कर 70 डिसमिल खाली पड़े बंजर जमीन पर खेती शुरू किया जिससे उन्हें अपने परिवार के लिए अतिरिक्त आय के साधन के साथ-साथ क्षेत्र में अलग पहचान दिया है ।
*पहले साल की आमदनी से प्रभावित होकर अब 1 एकड़ निजी तथा 4 एकड जमीन लीज पर लेकर कर रहीं तिल की खेती*
बिजोला सरदार कहती हैं कि तिल की खेती के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें शंका थी कि फसल होगा या नहीं और इससे कितना फायदा होगा । लेकिन पहले साल की खेती से ही उन्हें लगभग 40 हजार रुपया आमदनी हुआ, जिससे प्रभावित होकर खरीफ मौसम में 5 एकड जमीन में तिल की खेती कर रही है, जिसमें एक एकड़ी जमीन उनका निजी है जबकि चार एकड जमीन उन्होने लीज पर लिया है । आज उनके 5 एकड़ खेत में तिल का फसल लहलहा रहा है जिसे देखकर हर किसी का दिल बाग- बाग हो जाए, जहां तक नजर जाए हरियाली ही हरियाली नजर आती है । इधर, बिजोला सरदार की सफलता को देख कर आज उनके पंचायत के अन्य किसान भी तिल की खेती करने लगे हैं । पंचायत के खाली पड़े बंजर जमीन का उपयोग तिल की खेती में होने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी का एक मजबूत स्रोत मिल गया है ।
*बंजर जमीन में भी 60 से 70 दिन में तैयार हो जाता है तिल का फसल… रूस्तम अंसारी, डीपीएम, जेटीडीएस*
झारखण्ड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी के डीपीएम रूस्तम अंसारी ने बताया कि पिछले वर्ष खरीफ के मौसम में कुछ गांवों में इसका प्रयोग किया गया था । सर्वप्रथम किसानों को यह विश्वास ही नहीं हुआ कि खाली पड़े बंजर जमीन में भी खेती हो सकती है । इसके लिये किसानो को जेटीडीएस की ओर से तकनीकि जानकारी दी गई तथा कुछ किसानों को बीज भी उपलब्ध कराया गया । कई किसानों को फिल्ड विजिट पर ले जाकर तिल की खेती होते भी दिखाया गया, इसका परिणाम यह निकला की आज डुमरिया और पोटका प्रखण्ड में कुल 14 पंचायत के 69 गांवों में लगभग 385 किसान तिल की खेती कर रहे है, अनुमान है कि आने वाले समय में इसका और विस्तार होगा । अब किसान वैकिल्पक आय के साधन की ओर ध्यान दे रहे है । उन्होंने बताया कि खाली पड़े बंजर जमीन मे तिल की खेती की जा सकती है, जो लगभग 60 से 70 दिन मे तैयार हो जाती है । बाजार में भी तिल की काफी मांग है तथा कम सिंचाई या अल्प बारिश में भी इसकी अच्छी उपज की जा सकती है ।