तानाशाह, लापरवाह और जनता के प्रति उदासीन रवैया रखने वाले अफसर होंगे बेनक़ाब, मानगो को कचरा मुक्त करना ही होगा : पप्पू सिंह

जमशेदपुर। हम लोगों के यानी आम जनता के टैक्स के पैसे से मानगो नगर निगम के अधिकारियों के साथ ही सभी सरकारी अफसरों को वेतन मिलता है। सरकारी बाबुओं को एक माह देर से अगर वेतन मिले तो ऊपर से लेकर नीचे तक हाय तौबा मच जाता है, पत्राचार शुरू हो जाता है, लेकिन जिसके पैसे से अधिकारियों को वेतन मिल रहा है, उनके बच्चों की परवरिश हो रही, उसी जनता की समस्या के निदान की जब बात आती है तो अफ़सरों को अनगिनत बहाने याद आने लगते हैं। जनता अपनी समस्या लेकर इनके पास जाए तो उसे दुत्कारते हैं, मज़ाक़ उड़ाते हैं और तो और समस्या बड़ी रहने पर मीटिंग का बहाना बना कर भागते फिरते हैं। लेकिन कान खोल कर सुन लीजिए मानगो नगर निगम के साहब. ये मानगो है साहब, यहाँ आपकी लाट साहबी नहीं चलेगी। मानगो को कचरा और दुर्गंध मुक्त करना ही होगा। मानगो के लोग कचरे में और दुर्गंध में रहें, और आप टाटा स्टील के क्वार्टर में मजे करें, वहाँ अपने घरों में ख़ुशबूदार हवा का आनंद लें, ये सब नहीं चलेगा। जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा, नहीं तो मानगो के लोग आपको भी चैन से बैठने नहीं देंगे। ये मेरा सुझाव भी है, और चेतावनी भी है।
बुधवार को विधायक सरयू राय के मानगो प्रतिनिधि पप्पू सिंह समेत सभी जन प्रतिनिधियों के साथ मानगो नगर निगम में एक बैठक बुलाई गई थी। समय था 10 बजे. तय समय पर सभी प्रतिनिधि पहुंच गए। लेकिन मानगो नगर निगम के अधिकारी कृष्ण कुमार व अन्य सभी अधिकारी ग़ायब थे। क़रीब एक घंटा तक इंतज़ार किया। फ़ोन किया गया, लेकिन साहब ने फ़ोन रिसीव नहीं किया। ना ही पूर्व में यह सूचना दी गई कि नहीं उपस्थित हो पाएंगे, और ना ही ये समझे कि फ़ोन उठा कर अपनी व्यस्तता की जानकारी दे दें। सोचिए ज़रा, अगर विधायक प्रतिनिधि के साथ ये रवैया है तो बेचारे सामान्य लोगों के साथ क्या व्यवहार होता होगा। लाख भागिए, लेकिन हम छोड़ेंगे नहीं, मानगो में साफ़-सफ़ाई सुनिश्चित करना ही होगा। कचरे का उठाव से लेकर उसके निस्तारण तक ये आंदोलन जारी रहेगा. साथियों, अगर आपको लगता है कि सरकारी बाबुओं के ख़िलाफ़ मेरा क़दम सही है, तो कृपया मेरा साथ दीजिए. हमसे जुड़िए, हम बता देंगे कि ये मानगो है साहब, यहां तानाशाही नहीं चलेगी।