झिलमिल करती आई दीपावाली
हे राम अनुपम जीत तुम्हारी
उत्सव घर देश अयोध्या प्यारी
करें हम जन हर्षित स्वागत
झिलमिल करती आई दीवाली !
स्वच्छता का संदेश है दीवाली
घर घर में हँसी उत्साह खुमारी
सजता है घर का कोना कोना
झिलमिल करती आई दीवाली !
गढ़े दुलार से कुम्हार दीपक
बड़े छोटे नन्हे दीपक प्यारी
उनके आस विश्वास दीपक
झिलमिल करती आई दीवाली !
दीप जला होता देव आह्वान
सुखद साक्षी है दीपक क्यारी
करें गणेश कूबेर लक्ष्मी पूजन
झिलमिल करती आई दीवाली !
लगाते जन भोग फल मिठाई
कामना संदेश पूजा सुखकारी
देते उपहार मीठा संग बधाई
झिलमिल करती आई दीवाली !
प्रकाश से आलोकित हो पथ
जीवन में होता है आवश्यक
पथ प्रदर्शक बन जाये पूजन
झिलमिल करती आई दीवाली !
भुल चले हैं आज कई जन
मोम रंगीन बत्तियों हैं सजाये
पटाखें आतिशबाजी प्रदुषण
दूषित करें झिलमिल दीवाली !
मानव करे गहन जीवन मंथन
हर घर में दीपक सुख ज्योति
अलौकिक आत्मा हो दूर तमस
झिलमिल करती आई दीवाली ।।
स्वरचित @
डॉ आशा गुप्ता “श्रेया”
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