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हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसमें विभिन्न धर्म,भाषा,वस्त्र,भोजन आदि शामिल है : रालोजपा

बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ श्रीमती डॉ स्मिता शर्मा एवं श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी महिला प्रकोष्ठ एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसमें विभिन्न धर्म,भाषा,वस्त्र,भोजन आदि शामिल है। भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए विविधता का सम्मान करना चाहिए। यह कुछ नहीं सिर्फ लोगों की मानसिकता है।
श्रीमती डॉ स्मिता शर्मा ने कहा कि साधारण अर्थ में राष्ट्रीयता का अर्थ अपने राष्ट्र से प्रेम करना तथा व्यक्तिगत,जातिगत तथा क्षेत्रीय हितों की अपेक्षा राष्ट्रति को महत्व देना है। संक्षेप में राष्ट्रीयकता एक मनोभांव है, निष्ठा और भक्ति की एक भावना है। जिसका मुख केंद्र बिंदु राष्ट्र होता है। भारत एक विभिन्नताओं का देश है। जितनी भाषाएं, जितने रीति-रिवाज, धर्म तथा जातियां भारत वर्ष में मिलेगी। परंतु इतनी विविन्नताओं के बावजूद हमारे देश में एकता की कमी आ गई है। आज राष्ट्रीय एकता की समस्या एक जटिल समस्या समस्या है। राष्ट्रीय एकता के बाधक तत्व संप्रदायिकता, भाषावाद, क्षेत्रीयता की भावना और जातिवाद है। हमारे देश में हिंदू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि संप्रदाय है। आगे डॉ स्मिता शर्मा ने कहा कि ये संप्रदायिकता की भावना को उभरने का प्रयास करते हैं। इससे देश की एकता को खतरा है। ऐसे ही संविधान के अनुसार हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है फिर भी भारत के कुछ क्षेत्र में इसका विरोध हो रहा है। भारत में कभी लोग अंग्रेजी से नफरत करते थे परंतु वही समाज अंग्रेजी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का इच्छुक है:अत भाषा बाद भी एक खतरा है। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय एकता आज भारतवासी अपने को बंगाली, गुजराती, मराठी दो पहले कहते हैं किंतु भारतीय बाद में एक क्षेत्र के निवासी दूसरे क्षेत्र के व्यक्ति को अजनबी की दृष्टि से देखते हैं परंतु वे यह नहीं समझते हैं कि हम सब भारतीय हैं। यह भावना तो प्राचीन काल समाज में इस कदर फैली हुई थी जैसे गेहूं में घुन आज लोग राष्ट्रीय हित की अपेक्षा क्षेत्रीय हित को महत्व देते हैं इस कारण क्षेत्रवाद की भावना भी राष्ट्रीय एकता में बाधक है। राष्ट्र की आंतरिक शांति तथा सुव्यवस्था और बाह्मा सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्रीय एकता की परम आवश्यकता है। आगे श्रीमती सिन्हा ने कहा कि यदि हम भारतवासी अपने में निहित अनेक विविन्नताओं के कारण छिन्न-भिन्न हो गए तो हमारी फुट का लाभ उठाकर अन्य देश हमारी स्वतंत्रता को हड़पने का प्रयास करेंगे देश की स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्रीय एकता का होना परम आवश्यक है इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वयं को बंगाली, पंजाबी, दक्षिण भारत या उत्तरी भारतीय के रूप में नहीं पहचानना चाहिए। देश के विकास के लिए सभी को एकता के साथ रहना चाहिए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय के रूप में हम पहचान देनी चाहिए।

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