झारखंड का राजकीय फूल, प्रकृति का दुर्लभ उपहार पलाश सौरभ कुमार जादूगोड़ा
झारखंड का राजकीय फूल पलाश इसे ‘जंगल की ज्वाला’ भी कहा जाता है.वसंत के आगमन के साथ ही जादूगोड़ा के पूरे जंगलों के आस-पास आप इस पौधों को देख पाएंगे। इसकी खूबसूरती ठीक पहाड़ से जंगलों के बीच से जो रास्ते गुजरे हुए हैं सड़क से आते-जाते मुसाफिर पर्यटकों को भी आकर्षित कर रही है। प्रकृति का यह दुर्लभ उपहार हम सभी के लिए गर्व का विषय है। लाल-नारंगी रंग के उग्र रंगों से सजा यह फूल एक नया आश्चर्य जुड़ गया है – एक दुर्लभ सफेद पलाश फूल, जी हां, आपने ठीक सुना है। यकीन मानिए आप में से ज्यादातर लोगों ने लाल-नारंगी रंग के पलाश फूल को देखा होगा। पौधों के शोधकर्ताओं
बताते हैं कि यह तीन रंगों में पाया जाता है। 1.लाल नारंगी रंग का 2. पीला रंग का 3. सफेद रंग का,
सोशल मीडिया पर वायरल होने के पश्चात, मैं हमारे राष्ट्रीय फूल के पौधा के खोज में लग गया।
प्रकृति की यह अद्भुत रचना पौधों के शोधकर्ताओं के लिए रुचि का केन्द्र बन गई है, हमने भी बहुत जगह इस पौधा का तलाश किया। काफी छानबीन करने के उपरांत हमें यह दो रंगों का पौधा मिला। सफेद रंगों का यह पौधा अभी तक नहीं मिल पाया है। लाल नारंगी रंगों का पौधा तो आसानी से मिल जाता है लेकिन सफेद एवं पीले रंगों का पौधा मिलना काफी दुर्लभ हो गया है। जोकि आज विलुप्त के कगार पर है। हमें आगे बढ़कर दुर्लभ हो रहे इस पौधे को सूचीबद्ध करने और संरक्षित करने का निर्णय लेना चाहिए। केवल संरक्षण ही नहीं, वन विभाग और पादप शोधकर्ताओं के साथ मिलकर कृत्रिम प्रजनन के माध्यम से पौधे तैयार करके पेड़ों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाना चाहिए। वन विभाग की योजना सफल रही तो आने वाले दिनों में न केवल लाल-नारंगी पलाश के लिए, बल्कि सफेद,पीला
पलाश के लिए भी हमारा जादूगोड़ा प्रसिद्ध हो जाएगा। वन विभाग का प्रयास और लोगों की जागरूकता दोनों मिलकर काम करें तो इस दुर्लभ वृक्ष को संरक्षित करना संभव हो सकेगा और शायद एक दिन सफेद पीले पलाश अपनी सुंदरता और गुणों के कारण दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा।