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झारखंड का नव निर्माण के लिए और एक हूल की जरूरत : मदन मोहन

जमशेदपुर।सामाजिक कार्यकर्ता सह ग्रीन मेन मदन मोहन सोरेन ने सिदो कान्हू हूलगरिया मैदान कीताडीह मे हूल दिवस के मौके पर अमर शहीद सिदो-कान्हू की मूर्ति पर
पुष्प अर्पित कर नमन किया। मदन मोहन ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह, संघर्ष और उनके बलिदान को याद करने का विशेष दिन है।
मदन मोहन ने 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 30 जून 1855 में सिदो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो, झानो के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका गया था। यह आंदोलन संथाल परगना के साथ पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में फैला था। इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत को झकझोर कर रख दिया था। उन्होंने कहा कि हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। बाद में इस हूल के मुख्य नेतृत्वकर्ता सिदो-कान्हू को साहिबगंज के भोगनाडीह में अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था।
संताल विद्रोह के नायकों की शहादत से प्रेरणा लेते हुए युवाओं को पुनः और एक झारखंड की नवनिर्माण के लिए हूल की जरूरत है।इस अवसर पर माझी परगना महाल के बहादुर सोरेन, सुधीर सोरेन, रामचंद्र, सिदो मुर्मू, दामू प्रमाणिक आदि उपस्थित थे।

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