जो विश्व ब्रम्हांड है इसकी सेवा करने से ही परम पुरुष की सेवा हो गई
जमशेदपुर। पूर्वी जिला से काफी संख्या में आंनदमार्गी मुंगेर जिला के जमालपुर में तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन में भाग ले रहे हैं जो शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं है वह वेब टेलीकास्ट के माध्यम से इस कार्यक्रम का लाभ उठा रहे हैं
जमालपुर आनंद संभूति मास्टर यूनिट मैदान में तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन भी देश के विभिन्न भागों से भक्तों के आने का तांता लगा हुआ है। साधक साधिकाओं ने ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश, पाञ्चजन्य एवं योगासन का अभ्यास अनुभवी आचार्य के निर्देशन में किया।
संध्याकाल में सामूहिक धर्म चक्र किया गया आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने प्रवचन में कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं परम पुरुष हमारे साथ हैं। *परम पुरुष के बाहर में और कोई दूसरी सत्ता नहीं है क्योंकि सब कुछ उनकी मानस कल्पना है। इसलिए उनके लिए सिर्फ एक ही जगह है उनके बाहर में कुछ नहीं है। कोई मनुष्य अगर चाहे कि में परमात्मा के परम पुरुष के मन के बाहर चला जाऊं बाहर रहूं नहीं हो सकेगा क्योंकि बाहर कुछ है ही नहीं और यह बात भी हम लोगों को मालूम होना चाहिए कि परम पुरुष अगर चाहे तो भी किसी से वह नहीं कह सकेंगे कि तुम बाहर चले जाओ क्योंकि सब कुछ उनके भीतर है अगर वह व्यक्ति बाहर चला जाए तो इसका माने उनके बाद भी कुछ है किंतु उनके बाहर कुछ नहीं है इसलिए परम पुरुष किसी को तुम चले जाओ कह नहीं सकते इसका माने हुआ अपने मन के भीतर सबको रखना उनके लिए फर्ज है पापी अगर अपनी ग्लानी के कारण यह सोचे कि में तो परम पुरुष को पा नहीं सकता परम पुरुष तो मेरी ओर ताकते तक नहीं तो अपनी ग्लानी के कारण वह वैसा सोचता है अगर कोई बच्चा रास्ते पर चल रहे हैं अगर वह बच्चा कीचड़ में गिर गया कपड़े पर कीचड़ लग गई तो कुछ लोग देखकर हंसेगे मगर उस बच्चे के पिता तुरंत उसे उठाकर उसके कपड़े को साफ कर देंगे और गोद में बैठा लेंगे पापी के मन में यह भावना आ सकती है वह भावना हो सकती है कि परम पुरुष का में ना पसंद हूं मगर परम पुरुष के लिए सौ बात नहीं है गिरे हुए जो लड़के हैं जो लड़का कीचड़ में गिर गया है उसके लिए पिता के मन में अधिक हमदर्दी रहती है तो कहना यही है कि परम पुरुष अगर चाहे भी तो किसी को अपने मन के दायरे के बाहर फेंक नहीं सकते मां-बाप देखते हो ना कभी-कभी बच्चा का नाम रखते हैं विगल जिसको फेंक दिया गया हो मगर परम पुरुष किसी का नाम भी बीगल नहीं रख सकते परम *पुरुष अपने मन में दुनिया को विश्व ब्रम्हांड को बनाते हैं अपने मन में सबका कारण देखते हैं और आखिर तक सबको अपने मन में लेकर आते हैं यही है उनकी लीला लीला उनकी नहीं रहती तो लोग उन्हें पहचानते नहीं उन्होंने कहा कि मनुष्य के मन में यह विचार आया कि विश्व की सृष्टि क्यों हुई है कहां से हुई है इसकी आवश्यकता क्या थी ज्ञान मार्गी थक गए कारण उन्हें मालूम ही नहीं हुआ क्योंकि परमपुरुष ज्ञानमार्गीओं की पहुंच नहीं थी अगर पहुंच रही थी तो वे परमपुरुष से पूछ लेते क्यों इस दुनिया को बनाए हो मगर वहां तक ज्ञान मार्गी की पहुंच तो नहीं है इसलिए वे पूछेंगे कैसे उनकी बुद्धि भी उतना काम नहीं की मगर भक्तों की पहुंच परम पुरुष तक है क्योंकि भक्तों का काम है सेवा करना परम पुरुष की सेवा परम पुरुष की सही सेवा किस तरह हो सकती है परम पुरुष की यह जो संतान है या जो विश्व ब्रम्हांड है इसकी सेवा करने से ही परम पुरुष की सेवा हो गई क्योंकि उसे परम पुरुष खुश होते हैं तो भक्तों की पहुंच परमपुरुष तक है वह सेवा करेंगे तो नजदीक पहुंच ही जाएंगे यह सेवा करेंगे और चुपके चुपके पूछ लेंगे क्यों तुमने इस ब्रह्मांड की सृष्टि की ज्ञानी पूछ नहीं सकते नजदीक जानने का मौका नहीं है दोस्ती करने का मौका नहीं है
परम पुरुष भक्त परम पुरुष भी अपने मन में विश्व ब्रम्हांड को बनाए हैं आनंद पाने के लिए भक्तों को यह बात याद रखनी चाहिए कि परम पुरुष हमको बनाए हैं दुनिया में भेजे हैं आनंद पाने के लिए मैं भी थोड़ा सा काम करता हूं ताकि उन्हें अधिक से अधिक आनंद मिलता रहे एक बात और ध्यान में मन में रखनी चाहिए कि हम *परम पुरुष के मन के भीतर हो पैदाइश हुई मन के भीतर हो भी उनके मन के भीतर और आखिर तक मिलोगे भी उनमें अंत काल में मनुष्य परमात्मा में लीन हो जाते हैं इसलिए मनुष्य के लिए डरने की बात किसी भी हालत में नहीं है जब मौत हो जाएगी तब भी डर ने की कोई बात नहीं क्योंकि वह तो परमात्मा में परम पुरुष में लीन हो जाएंगे वह तो कहीं नहीं जा रहे हैं इसलिए मौत से डरने की घबराने की कोई वजह नहीं है और पैदाइशी परम पुरुष से हुई है *परम पुरुष पीता है परम पुरुष रिश्ता है इसलिए कोई भी मनुष्य छोटे नहीं है कोई भी मनुष्य छोटी जात के नहीं है कोई भी मनुष्य ऊंची जात के भी नहीं है सब के पिता एक हैं सब समान है कोई छोटे नहीं कोई बड़े नहीं दुनिया का हर मनुष्य बीआईपी है क्यों परम पुरुष उनके पिता है इसलिए कोई छोटा नहीं हो सकता सब समान स्कूल के हैं क्योंकि एक ही पिता है, जो जात पात मानते हैं वह परम पुरुष को नहीं मानते हैं क्योंकि कोई एक पिता के बेटे 500 जाति के नहीं हो सकते जो परम पुरुष को मानते हैं वह जात-पात के भेदभाव को नहीं मानेंगे तो उत्पत्ति उन्हीं से और देखेंगे की स्थिति भी उन्हीं में उनके मन के भीतर ही हम किसी भी हालत में अलग नहीं हो सकते या जो विश्वभर में या जो समग्र सृष्टि है इसके साथ प्रोत योग के द्वारा परम पुरुष संयुक्त हैं अर्थात हमेशा समग्र विश्व को देख रहे हैं कोई भी लुक छिप कर कुछ कर नहीं सकता ठीक वैसे ही हर जियो के साथ हर इंसान के साथ राम क्या कर रहा है श्याम क्या कर रहा है तू क्या कर रहा है देख रहे हैं सिर्फ देखना ही नहीं कि सब कुछ उनके मन के भीतर हो रहा है देखने के लिए कोई अलग प्रयास की जरूरत नहीं होती उनके भीतर सब कुछ है।