जीवात्मा परमात्मा के मिलन से हुआ महारास लीला- पंडित विवेक महाराज
कृष्ण-रुक्मणि विवाह की झांकी देख मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालुओं ने गाए मंगल गीत
जमशेदपुर। भुइयाडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के छठवें दिन गुरूवार को कथावाचक आचार्य बालव्यास पंडित विवेक महाराज ने श्री कृष्ण-रूकमणी विवाह, रास पंचांग अध्याय, गोपी उद्धव संवाद कथा का सुंदर वर्णन किया। कथाव्यास की वाणी से कृष्ण-रूकमणी विवाह, का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कृष्ण-रूकमणी विवाह की सुन्दर झांकियों ने सभी का मन मोह लिया। श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। कथा वाचक ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। उन्होंने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। मौके पर आयोजक मंडली की ओर से आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया।
सातवें दिन शुक्रवार को महाराज सुदामा चरित्र, शुकदेव विदाई, परीक्षित मोक्ष, भागवत कथा का सार का प्रसंग सुनायेंगे। गुरूवार को मुख्य याज़मान गोविन्द राम सरोज और सुनीता सरोज थे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से श्रीराम सरोज अधिवक्ता, हरिओम सरोज, आकाश पाठक, मनोज शर्मा, विकाश शर्मा, संजय ठाकुर, रामेश्वर सिंह, विक्रम ठाकुर, अमृता अग्रवाल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।