जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है
ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं

जमशेदपुर। 31दिसंबर 2021 जमशेदपुर एवं उसके आसपास के काफी संख्या में आनंद मार्गी इस धर्म महासम्मेलन में भाग ले रहे हैं
भारत सरकार के कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए आनंद मार्ग के मुख्यालय आनंद नगर में विश्व स्तरीय धर्म महा सम्मेलन के दूसरे दिन काफी संख्या में आनंद मार्गी इस धर्म महा सम्मेलन में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए भाग ले रहे हैं जो लोग इस धर्म महा सम्मेलन में भाग नहीं ले पा रहे हैं वह वेबीनार के माध्यम से भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं
आनंदमार्गी कोरोना के कुप्रभाव के कारण अपने घर में ही बैठकर आध्यात्मिक आनंद का लाभ उठाया
धर्म महासम्मेलन को संबोधित करते हुए आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने
“जीवन का लक्ष्य ” विषय पर श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं – ज्ञान ,कर्म और भक्ति। परंतु उन्होंने कहा कि बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। आदि गुरु शंकराचार्य के बारे में बोलते हुए कहा कि वह उद्भट ज्ञानी थे फिर भी भक्ति को श्रेष्ठ कहा है उन्होंने बताया की मोक्ष प्राप्ति के उपाय एवं में भक्ति श्रेष्ठ है भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है भक्तों बंद होने पर भक्तों की विजय होती है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है पुरोधा प्रमुख ने कहा कि परमात्मा कहते हैं की मैं भक्तों के साथ रहता हूं जहां वे मेरा गुणगान करते हैं कीर्तन करते हैं परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।