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जीने की कला____


जीने की कला जिसे आती है ,वह जीवन को जीते हैं। बाकी जो सब, जीवन को ढोते हैं। खुद का जीवन आप कैसे जिएंगे, यह संपूर्ण आप पर निर्भर होता है।
ऐसा नहीं है की आपको जीवन में सब कुछ मिल जाएगा। या सभी को अपने जीवन में सब कुछ मिल गया। लेकिन यह मिलने और ना मिलने के बीच जो फासला रहता है, इसको अगर हम अपने तरीके से जिए, तो जीवन सचमुच खूबसूरत बन जाता है।
मनुष्य जन्म किस्मत वालों को मिलता हैं। ईश्वर एक मनुष्य को ही सर्वगुण संपन्न प्राणी बनाकर इस दुनिया में भेजा हैं। मनुष्य के पास अच्छे गुण भी है, बुरे गुण भी है, अब मनुष्य निर्धारण करेगा ,उसे किस गुण का साथ में दुनिया में जीना हैं।
जैसे एक चाकू से आप किसी का प्राण भी ले सकते हैं ।और उसी चाकू का उपयोग करके एक डॉक्टर ऑपरेशन भी करता है। यह जरूरी नहीं है कि, आपके पास में बहुत पैसा है ,आप बहुत अमीर है ,तो आपको जीने की कला भी आती होगी। या आप अपने जीवन को बहुत खूबसूरती से और बहुत अच्छे तरीके से जी रहे हैं।
नदियों में बांध क्यों बांधा जाता है? क्योंकि बरसात में जब नदियों में पानी ज्यादा होती है ,तब हम गर्मियों के लिए कुछ संचित करते हैं ।बांध बांधकर नदी की बहाव को कम कर देते हैं। ताकि जब जरूरत पड़े यह पानी मिल जाए । इस तरह जीने की कला में “संचय करना” एक बहुत बड़ी कला होती है। ताकि जीवन के कठिन समय में आपका संचय किया हुआ धन आपका काम आ सके। आपको किसी के पास हाथ फैलाने की जरूरत ना हो।
दूसरी बात हम बहुत से लोगों को देखते हैं उधार मांगते हुए। जब उनके पास पैसा रहता है ऐश करते हैं ।जब नहीं रहता है लोगों के पास उधार मांगते हैं। जीवन में यह बातें आप गांठ बांध ले जहां तक हो सके अपनी जरूरत हम खुद पूरा करेंगे । उधार ,जब कहीं से कोई रास्ता नहीं मिलेगा ,है तब ही करेंगे। और समय पर उधार चुका देंगे। यह आपकी मनुष्यता होनी चाहिए।
तीसरी बात होती है खुद पर संयम। हम बाजार गए , पॉकेट में 2000 है और मैं 4000 के सामान पसंद कर लिया। कहते हैं जितना चादर उतना ही पांव फैलाना चाहिए। आपके पास जितना है उतने में ही आप संसाधन जुटाए ताकि आप उधारी में फंस ना जाए ,अपनी शान और शौकत दिखावा के लिए।
“सादा जीवन उच्च विचार” यह सिर्फ कहने की बात नहीं है ,जीवन में आजमाने की बात हैं। आपका व्यक्तित्व आपका मकान, गाड़ी ,पहनावा से नहीं परखा जाता है। आपका व्यक्तित्व, आप में कितना गुण है, आप कितने ज्ञानी हैं ,आपका व्यवहार से आंकलन की जाती हैं। इसलिए मनुष्य को हमेशा सज्जनों के बीच रहना चाहिए। जैसे चंदन के पेड़ के पास दूसरी लकड़ियां भी रहे तो चंदन जैसे सुभाषित हो जाते हैं। क्योंकि सज्जन आपको कभी गलत राय नहीं देंगे। अच्छी किताब पढ़ना चाहिए। तो आप जान सकते हैं सभी के जीवन में दुख का समय रहता है और धैर्य के साथ लोग गुजार भी लेते हैं।
धैर्य मानव का एक बहुत बड़ा गुण या जीने की कला का सकते हैं। मानव बहुत जल्दी उतावला हो जाता है। हमें यह नहीं मिला, हमें वह नहीं मिला, पर कोशिश करते रहना चाहिए ।वक्त पर उसका फल जरुर मिलता है। इंसान सोचता है हमें सब कुछ मिल जाए। लेकिन अगर सबको सब कुछ मिल जाएगा,तो लोग ईश्वर को भूल जाएंगे। ज्यादातर लोग कष्ट के समय ईश्वर कोई याद करते हैं।लेकिन होना तो यह चाहिए ,हमें सुख दुख में ईश्वर को याद करना और उनकी वरदान पाने की कोशिश करनी चाहिए। मन में हमेशा यह बात रखनी चाहिए “आपने मुझे जन्म दिया और आप ही तय करेंगे मैं कैसे जिऊंगा ।मैं आप पर सब छोड़ता हूं।”जिस व्यक्ति के पास ऐसा विश्वास होता है,वह हमेशा ईश्वर का प्यारा होता है। दुलारा होता है ।उसके जीवन में दुख आएगा लेकिन वह गुजर भी जाता है ।वह हमेशा निश्चिंत होकर खुश रहता है।
खुश रहने की कला। यह आसान नहीं है की आप खुश रहते हैं हमेशा। आदमी अपना दुख से जितना परेशान नहीं होता है, दूसरों का सुख देखकर परेशान हो जाता है।और यह परेशानी इसलिए कि उसकी जलन हिंसा उसे दुख देती है। लोग दूसरे की मेहनत को नहीं देखते हैं ।उसकी कामयाबी को देखते हैं। लेकिन आप महापुरुषों के जीवनी को पढ़ेंगे तो आपको लगेगा हर कोई दुख का सागर पार करके ही सुख का सागर में पहुंचता है। हिंसा, द्वेश, जलन, यह आदमी को अंदरुनी दुख पहुंचता हैं। जीवन में अगर खुशियां चाहते हैं तो दूसरों की खुशी में खुश होना सीख लीजिए। जब आप दूसरों की खुशी में खुश होने लगेंगे तो लोगों से आपका प्यार बढ़ेगा। लोग आपको प्यार करेंगे। जीवन में और क्या चाहिए? अगर आपको सबका प्यार मिले, यही तो सबसे बड़ा पाना होता है जीवन में।
हर हाल में खुश रहिए। ताकि आपके पास जो भी आए वह भी खुश रहे। हमेशा रोनी सूरत बनाकर आप खुद डिप्रेशन में जाएंगे। हमेशा आसमान को ना देखा कीजिए आसमान तो दूर हैं आप छू भी नहीं सकते। पर इस धरती को आप छू सकते हैं महसूस कर सकते हैं। आप जहां हैं आपके ऊपर बहुत लोग होंगे ,लेकिन आपका नीचे भी बहुत दयनीय स्थिति में इंसान जिंदा है ।कभी उन लोगों के बारे में सोचकर ईश्वर को धन्यवाद दीजिए, कि आपने एक ऐसे घर में जन्म लिया जहां आपको भूखे पेट सोना नहीं पड़ता, आपके तन में कपड़े हैं। कर्म आपको करना ही पड़ेगा बैठे-बैठे आपके पास भोजन नहीं आएगा। और जो कर्म आप करते हैं उसे खुशी-खुशी किया कीजिए। आपकी खुश रहने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और आपको खुशी प्रदान करते हैं।
सर्वशेष बात यह है की जन्म होने से मृत्यु तो होगा ही। आप मृत्यु को भी अपने जीवन में जोड़ कर रखिए।इस दुनिया से इतना मोह ना बढ़ाये कि उस दुनिया में जाते समय आप दुखी हो जाए।

मुट्ठी बंद कर आए थे
मुट्ठी खोल कर जाएंगे।
रोते हुए आए थे जग में
रुलाते हुए जाएंगे।

हंसते रहिए मुस्कुराते रहिए
दोस्तों से मिलते रहिए।
रिश्ता सबसे बना कर रखिए
हंसकर गले मिलते रहिए।

जिंदगी छोटी ही सही
इसे खुलकर जीते रहिए।
कल जो होने का होगा
आज खुश होकर जी रहिए।

मदिरा ऐसे पिओ की
तुम मदीरा को पीते हो।
देखना ऐसा कभी ना हो
मदिरा तुमको पीता हो।

ऐसे ही कुछ है मेरी जीने की नजरिया ।हर कोई सहमत हो जरूरी नहीं है। लेकिन मैं ऐसा ही जिंदगी जीती हूं।बिंदास।

जो बीत गई सो बात गई
ऐसी बातों को सोचना क्या?
कल क्या होगा किसे फिकर?
मुझे तो बस आज है जीना।
अमीर ना बन पाई तो क्या
गरीब भी नहीं हूं।
हाथ भी उठे तो देने के लिए
मांगती थोड़े ना फिरती हूं।

नीता सागर चौधरी जमशेदपुर झारखंड

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