जीएसटी कर प्रणाली की पेचीदगियों को समझने के बजाय चांद तक पहुंचना आसान – गुजरात उच्च न्यायालय
जमशेदपुर। देश में कराधान प्रणाली और जीएसटी पर गुजरात उच्च न्यायालय के एक हालिया रिमार्क ने भारत में जीएसटी कर प्रणाली की जटिलताओं और खोखलेपन को उजागर किया है जो कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के उस रुख को सही ठहराता हैं जिसमें बार बार जोर देकर यह कहा गया है की जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल कर प्रणाली है।
कैट ने कहा है कि गुजरात उच्च न्यायालय की कड़ी टिप्पणी के बाद अब यह जरूरी हो गया है की न केवल केंद्रीय वित्त मंत्री बल्कि जीएसटी कॉउंसिल और इसके अलावा सभी राज्यों के वित्त मंत्री, जो जीएसटी परिषद के सदस्य हैं, तत्काल जीएसटी की जटिलताओं और विषमताओं को देखें और इस प्रणाली को ठीक करने के बारे में तुरंत निर्णय लें। यदि इस तरह की टिप्पणियों का संज्ञान लेकर कदम उठाये जाते हैं तो निश्चित रूप से जीएसटी कर प्रणाली को एक मजबूत और अच्छी तरह से परिभाषित कर प्रणाली बनाया जा सकता है जिससे व्यापारियों और सरकारों को बड़ा लाभ मिल सकेगा- यह कहते हुए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने एक संयुक्त बयान में कहा की कैट ने केंद्र सरकार एवं जीएसटी कॉउंसिल से जीएसटी कर क़ानून तथा जीएसटी पोर्टल की एक नए सिरे से समीखा किये जाने का आग्रह किया है ताकि देश के व्यापार की जमीनी हकीकत तथा सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करते हुए जीएसटी को तर्कसंगत बनाया जाए।
गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 फरवरी, 2022 को जीएसटी कर प्रणाली से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि जीएसटी की पेचीदगियों और नीतियों को समझने की तुलना में हमारे लिए चंद्रमा तक पहुंचना आसान है। जीएसटी को समझना हमारी क्षमता से परे है।
कोर्ट की यह तल्ख़ टिपण्णी इस मुद्दे को सही तरह से परिभाषित करने की जरूरत की बयानी करता है । श्री खंडेलवाल और सुरेश सोन्थालिया दोनों ने राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने स्वयं के लाभ के लिए जीएसटी कर ढांचे को बहुत विकृत कर दिया है और जीएसटी के बुनियादी सिद्धांतों को मार डाला है, जिससे यह सबसे जटिल कर प्रणाली बन गई है, जो कि प्रधानमंत्री के व्यापार को आसान बनाने के दृष्टिकोण को बर्बाद कर रही है।
कैट ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय की टिप्पणियों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। इस बारे में अधिक आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है कि उच्च न्यायालय को इस तरह की कड़ी टिप्पणी करने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा है ! यदि अब भी वर्तमान में जीएसटी
कर प्रणाली विभिन्न विसंगतियों, असमानताओं और विकृतियों से भरी हुई है, जो एक राष्ट्र-एक कर के अपने घोषित जनादेश को खारिज कर रही है और इसलिए, कैट ने जीएसटी अधिनियम और नियमों की पूरी तरह से समीक्षा करने की वकालत की है ! इस सम्बन्ध में पहल करते हुए कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च शक्ति संयुक्त समिति का गठन करने का आग्रह किया है जिसमें सीबीआइसी के अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिकारी और व्यापार और वाणिज्य के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो न केवल अधिनियम और नियमों की समीक्षा करने के लिए बल्कि यह भी की कर आधार को विकसित करने और सरकार को अधिक राजस्व देने में सक्षम कर संरचना को सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव दें। भारत में जीएसटी कार्यान्वयन के 4 वर्षों से अधिक की अवधि ने सरकार और हितधारकों दोनों को विभिन्न सीखने के अनुभव दिए हैं और ऐसे में संयुक्त समिति के गठन से भारत में जीएसटी को एक मजबूत, पारदर्शी कराधान प्रणाली बनाने में काफी मदद मिलेगी। सोन्थालिया ने कहा की कैट जल्द ही इस मुद्दे को श्रीमती सीतारमण, सीबीआईसी तथा राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिलेगा ।