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जिला उपायुक्त ने ली डी.ई.सी. एवं अलबेंडाजोल की खुराक, आमजनों से फाइलेरिया उन्मूलन हेतु दवा का सेवन करने की अपील की

एसडीएम धालभूम, अपर उपायुक्त, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर, निदेशक डीआरडीए तथा समाहरणालय परिसर में अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों ने भी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर फाइलेरिया उन्मूलन के दिए संदेश*
फाइलेरिया उन्मूलन के उद्देश्य से 26 एवं 27 को घर-घर जाकर लोगों को खिलाई जा रही दवा*

M.D.A कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु हर स्तर पर कार्यक्रम का उचित अनुश्रवण करें- जिला उपायुक्त*

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत आज जिला उपायुक्त श्री सूरज कुमार, एसडीएम धालभूम श्री संदीप कुमार मीणा, अपर उपायुक्त श्री प्रदीप प्रसाद, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर श्री नन्दकिशोर लाल, निदेशक डीआरडीए श्री सौरभ कुमार सिन्हा तथा समाहरणालय परिसर में अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा फाइलेरिया का दवा दिया गया । इस मौके पर जिला उपायुक्त ने आमजनों से भी फाइलेरिया उन्मूलन हेतु दवा का सेवन करने की अपील की । भारत सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य 2022 निर्धारित किया गया है। राज्य से फाइलेरिया का उन्मूलन “राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम” के अन्तर्गत लक्षित है । फाइलेरिया उन्मूलन हेतु एम.डी.ए कार्यक्रम इस वर्ष 23 अगस्त से 27 अगस्त 2021 तक जिले में चलाया जा रहा है जिसमें पहले तीन दिन 23, 24, 25 अगस्त को बूथ पर दवा दी गई वहीं 26 एवं 27 को छूटे हुए लोगों को घर-घर जाकर दवा वितरित किया जाना है । उपायुक्त ने सभी दवा प्रशासकों को निदेशित किया कि मास्क का उपयोग एवं सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से संबंधित दवाओं का सेवन करवाना सुनिश्चित करेंगे ।

फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसके काटने से पूरे बदन में सूजन आ जाती है जिसे हाथीपाव भी कहा जाता है। इसके रोकथाम एवं बचाव हेतु फाइलेरिया से संबंधित जितनी भी दवाएं हैं उनका सेवन ससमय करना बहुत जरूरी है । 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिला, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को दवा का सेवन नहीं करना है । दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है ।
फाइलेरिया से बचाव एवं रोकथाम के उपाय
फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्र में 5 से 7 वर्षों तक वर्ष में एक बार अभियान के तौर पर डी. ई. सी. एवं अलबेंडाजोल दवा वितरित करके फाइलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है । फाइलेरिया के रोगाणु अपने पूरे जीवन काल में करोड़ों माइक्रोफाइलेरिया रोगाणुओं को जन्म देते हैं। दवा वितरण के प्रत्येक अभियान के द्वारा माइक्रोफाइलेरिया को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है, जिससे मच्छरों के द्वारा अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को इसे संक्रमण से बचाया जा सकता है। सभी लक्षित आबादी को डी. ई. सी. एवं अलबेंडाजोल गोली की एक खुराक 5 से 7 वर्षों तक वर्ष में एक बार खिलाई जाए तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिन लोगों में फाइलेरिया का संक्रमण नहीं रहता है उनमें डी.ई.सी. एवं अलबेंडाजोल दवा सेवन के पश्चात ये लक्षण नहीं आते हैं ।

मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम
डी.ई.सी. दवा की एक खुराक (100एम.जी.)2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलायें एवं गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति को नहीं देना है । 2 से 5 वर्ष को 1 गोली, 6 से 14 वर्ष को 2 गोली और 15 वर्ष से अधिक को 3 गोली देनी है।
अलबेण्डाजोल दवा की एक खुराक ( 400 एम.जी.) 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलायें एवं गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति को नहीं देना है । 1 से 2 वर्ष को आधी गोली पानी में मिलाकर देना है । 2 से ऊपर के सभी लोगों को 1 गोली देना है।
दवा का प्रतिकूल प्रभाव
(साइड इफेक्ट) डी.ई.सी. एवं अलबेंडाजोल दवा की सही खुराक पूर्णतः सुरक्षित है । दवा के सेवन के पश्चात् जिन व्यक्तियों के खून में फाइलेरिया के रोगाणु मौजूद होते हैं, उनको अत्यधिक बुखार, सर दर्द, उल्टी, चक्कर, शरीर के किसी भांग में सूजन होने जैसी स्थिति हो सकती है। उक्त समस्यायें 1 से 2 प्रतिशत लोगों में ही होती हैं, जो माइक्रोफाइलेरिया से संक्रमित होते हैं ।

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