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जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया

जमशेदपुर। नालसा और झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार जमशेदपुर द्वारा 13 जुलाई शनिवार को व्यवहार न्यायालय के लोक अदालत हॉल में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल ___ मामलों का निष्पादन किया गया. इस दौरान ___ करोड़ ____ लाख ___ हजार _____ रूपये की राजस्व भी प्राप्त हुआ. नेशनल लोक अदालत का उदघाटन ऑनलाईन रुप से झारखंड हाई कोर्ट रांची के चीफ जस्टिस माननीय न्यायमूर्ति डॉक्टर बी आर सारंगी जी के कर कमलों द्वारा विधिवत रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया. तत्पश्चात उनके संबोधन के बाद जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का श्री गणेश किया गया । इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा ने मोटर वाहन दुर्घटना में मरने वाले मृतक के आश्रित को 11 लाख रुपए का चेक प्रदान किया । इस दौरान जिला जज के साथ प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय माननीय श्री अजीत कुमार सिंह , स्टेट बार कौँशिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, जिला बार एसोसिएशन तदर्थ कमेटी के अध्यक्ष लाला अजित अंबष्ट, तदर्थ कमेटी के सदस्य जयप्रकाश जी , डालसा के सचिव श्री राजेन्द्र प्रसाद आदि मौजूद थे. मौके पर
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि नेशनल लोक अदालत में अपने मामले का त्वरित समाधान पाकर समय और पैसा दोनों की बचत कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि नालसा, झालसा एवम डालसा समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने में काफी मददगार साबित हुईं हैं .वहीं स्टेट बार कौँशिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल ने कहा कि समझौता द्वारा मामले का निष्पादन करने के लिए लोक अदालत एक बेहतर मंच है. उन्होंने डालसा द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों की काफी सराहना भी किया .
नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक मामले का समाधान के लिए जमशेदपुर में कुल 14 बेंचो का गठन किया गया था. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि सुलह योग्य सभी प्रकृति के मामलों का नेशनल लोक अदालत में निपटारा किया गया. जिसमें मुख्य रूप से वन अधिनियम, बिजली अधिनियम, मापतौल अधिनियम, उत्पाद अधिनियम, बैंक ऋण, चेक बाउंस, श्रम अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, मोटरयान दुर्घटना मुआवजा, भूमि अधिग्रहण से संबंधित वाद, खान अधिनियम, पारिवारिक वाद, सुलह योग्य आपराधिक और दीवानी मामले आदि के केस शामिल है.

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