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चुनावी राजनीति से सीजीपीसी में दो फाड़

बने नए समीकरण, समीर की तरफदारी कर रहे भगवान और मुखे





रघुबनश मणि सिंह
जमशेदपुर। जमशेदपुर संसदीय चुनाव में राजनीतिक तरफदारी में कोल्हान के सिखों की केंद्रीय धार्मिक संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) में दोफाड़ हो गया है? कमेटी के प्रधान भगवान सिंह, चेयरमैन शैलेंद्र सिंह, महासचिव गुरचरण सिंह बिल्ला और महासचिव अमरजीत सिंह इंडी समर्थित झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवार विधायक समीर महंती का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। सीजीपीसी के मुख्यालय के साथ ही रिफ्यूजी कॉलोनी गुरुद्वारा में भगवान सिंह और शैलेंद्र सिंह बैठक कर चुके हैं जिसमें उम्मीदवार उपस्थित रहा है। वही भगवान सिंह के धुर विरोधी और पूर्व अध्यक्ष गुरमुख सिंह मुखे के समर्थक प्रधान तारा सिंह और उनकी संस्था झारखंड सिख कोऑर्डिनेशन कमिटी भी झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी समीर मोहंती के साथ डटी हुई है।
वहीं सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के चेयरमैन एवं टाटा मोटर्स यूनियन अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते, संरक्षक गुरदीप सिंह पप्पू, मुख्य सलाहकार एवं झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष गुरदेव सिंह राजा, वरिय उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्रभारी प्रधान नरेंद्र पाल सिंह भाटिया, केंद्रीय नौजवान सभा के पूर्व अध्यक्ष सतवीर सिंह सोमू केंद्रीय नौजवान सभा के चेयरमैन चंचल भाटिया, एनडीए नीत गठबंधन भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी और सांसद विद्युत वरण महतो के लिए मिलन समारोह आयोजित करने के बाद शहर के विभिन्न इलाके में लगातार बैठक रहे हैं।


सरदार भगवान सिंह प्रत्याशी समीर मोहंती को समर्थन देने के लिए भारत के किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार मानते हैं और यही तर्क वे अपनी बैठक एवं सिखों के बीच दे रहे हैं। इस तर्क से सहमत भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता महासचिव गुरु चरण सिंह बिल्ला भी इंडी गठबंधन के समर्थन वाली बैठक में शामिल हो रहे हैं।
जमशेदपुर की सिख धार्मिक राजनीति में बड़ा दिलचस्प मोड़ आया है कि पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे और अमरजीत सिंह अंबे के समर्थक भगवान सिंह और गुरुचरण सिंह बिल्ला द्वारा आहूत बैठक में शामिल हो रहे हैं।
जो एक दूसरे के परस्पर कट्टर विरोधी हैं और इनके खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई जमशेदपुर की अदालत में चल रही है।
ऐसी संभावना है कि बैठकों का दौर इसी तरह से चलता रहा तो चुनाव संपन्न होने के बाद प्रधान भगवान सिंह और पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे अपने विवादों का निपटारा कर लेंगे और एक साथ सिख राजनीति करते हुए नजर आएंगे।
इधर गुरमुख सिंह मुखे ने कहा कि भगवान सिंह के बहुत एहसान उन पर हैं और वह उनके अहित की कल्पना नहीं कर सकते हैं। किसी से कोई विरोध नहीं है और जो है भी, वह सैद्धांतिक है।
शहर में एक गंदा व्यक्ति है, जिसने अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए पूरे सिख समाज में प्रदूषण फैला रखा है।
मुखे के अनुसार वे अवसरवादी नहीं हैं, पद में रहते हुए सीजीपीसी संगठन का कभी दुरुपयोग नहीं किया। पिछले चुनाव में भी उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का खुलकर समर्थन किया था और पूरा सिख समाज इसे जानता है, लेकिन सीजीपीसी जैसे मंच का सहारा नहीं लिया। उन्होंने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि वह आने वाले दिनों में प्रधान भगवान सिंह के साथ मंच साझा करते हुए नजर आएंगे। उनके अनुसार सिखों से संबंधित कई सामाजिक धार्मिक राजनीतिक मामले एवं समस्याएं हैं जिसका समाधान एकता के बल पर ही किया जा सकता है।
गुरदीप सिंह पप्पू के अनुसार फिलहाल चुनावी राजनीति है और लोग अपनी पसंद के अनुसार चल रहे हैं। किसान आंदोलन का तर्क देने वालों का विरोध करते हुए कहते हैं कि क्या कभी भारत के किसी प्रधानमंत्री ने सिख गुरुओं से संबंधित गुरु पर्व का आयोजन प्रधानमंत्री आवास में किया या देशभर में सरकारी स्तर पर आयोजन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा किया है और इसलिए हमें आज उनका ऋण उतारने का अवसर मिला है और हम चुकने वाले नहीं हैं।

भगवान सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में बताया

इस संबंध में सीजीपीसी के प्रधान भगवान सिंह मैं अपनी प्रतिक्रिया में कहा किजब से किसान आंदोलन हो रहा है तब से हम अपने किसान भाई के साथ हैं कौम के साथ हैं और इस चुनाव के चलते भगवान से किसी के पास आएगा किसी से दुर जाएगा ऐसा कभी नहीं हो सकता लेकिन जिन्दा नजर आएगा।

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