जपियो जिन अर्जन देव गुरु फिर संकट जोन गरभ ना आयो ………
ठंढे शरबत और चना प्रसाद ग्रहण कर संगत ने सरताज-ए-शहीद गुरु अर्जन देव जी को किया नमन
जमशेदपुर। सिख इतिहास में शहीदों के सरताज के नाम से विख्यात पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी पर्व पर आयोजित छबील और विशेष कीर्तन दरबार में संगत ने ठंढे शरबत और चना प्रसाद ग्रहण कर उनकी महान शख्सियत और उनकी सर्वोच्च शहीदी को नमन किया।
सोमवार को साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा गुरु महाराज जी की महान शहीदी को समर्पित विशेष कीर्तन दरबार गुरुद्वारा साहिब साकची में सजाया गया जहाँ संगत ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ कीर्तन दरबार में हाजरी भर, अरदास में शामिल होकर गुरु ग्रन्थ साहिब के सामने अपना शीश नवाया। आज सर्वप्रथम, दो दिन पूर्व रखे गए अखंड पाठ साहिब की समाप्ति की गयी, उपरांत कीर्तन दरबार आरम्भ किया गया जिसमें भाई साहब भाई संदीप सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा साहब साकची ने गुरु अर्जन देव जी के सम्मान में उनकी बाणी ‘जपियो जिन अर्जन देव गुरु फिर संकट जोन गरभ ना आयो’ शब्द गायन किया।
साकची गुरुद्वारा के ग्रंथी और कथाकार बाबा अमृतपाल सिंह मन्नन ने गुरमत विचारों से संगत को रूबरू कराया। उन्होंने गुरु अर्जन देव जी की शहीदी गाथा का वर्णन और व्याख्या करते हुए संगत को बताया कि गुरु अर्जन देव जी की किस प्रकार यातना देकर शहीद किया गया परन्तु सिख धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने शहीदी को स्वीकार किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होकर जत्थेदार ज्ञानी जरनैल सिंह द्वारा की गुरु चरणों में सरबत के भले के लिए की गयी अरदास में शामिल हुयी।
साकची गुरुद्वारा के अध्यक्ष सरदार निशान सिंह ने हाजरी भरने आयी संगत का तथा कीर्तन दरबार को सफल बनाने के लिए समस्त साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, सुखमणि साहिब जत्था और स्त्री सत्संग सभा द्वारा किये गए सराहनीय योगदान के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया।