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छात्रों की डिजिलॉकर सर्टिफिकेट से जुड़ी परेशानियों पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने लिया संज्ञान

सीबीएसई का आया जवाब- डिजिलॉकर के सभी दस्तावेज कानूनी रूप से वैध और मान्य।

जमशेदपुर। सीबीएसई 12वीं के परीक्षाफल प्रकाशन हुए करीब 5 महीने हो गए, छात्र-छात्राओं ने देश के विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन भी ले लिया, ऑनलाइन क्लासेस भी जारी है, पर सीबीएसई ने झारखंड सहित कई राज्यों के छात्र- छात्राओं के ओरिजिनल माइग्रेशन सर्टिफिकेट अब तक जारी नही किए थे। देश के कई कॉलेज प्रबंधन लगातार ओरिजिनल माइग्रेशन सर्टिफिकेट की मांग करते आ रहे, जिससे छात्र- छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों भी परेशान थे।

वहीं, डिजिलॉकर में माइग्रेशन सर्टिफिकेट उपलब्ध है, जिसे छात्र छात्राओं द्वारा जमा किया जा रहा था पर कॉलेज उसे अमान्य करार दे रहे थे। यहां तक कि कई स्कूल डिजीलॉकर से निकाले सर्टिफिकेट को सत्यापित करके भी दे रहे थे पर कॉलेज ओरिजिनल सर्टिफिकेट पर ही अड़े हुए थे। राजस्थान के एक कॉलेज ने जब धनबाद की कई लड़कियों को ओरिजिनल माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए अनिवार्यता कर रखी तो मामला प्रकाश में आया। इस मामले पर भाजपा झारखंड प्रदेश के प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी ने प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, शिक्षा राज्य मंत्री समेत सीबीएसई को इस संबंध में लिखा और विद्यार्थियों की परेशानी के प्रति ध्यान आकृष्ट कराया।

इस विषय पर सीबीएसई ने भाजपा प्रदेश प्रवक्ता को जवाब देते हुए कहा कि 5 जनवरी को ही इस संबध में निर्देश जारी कर दिया गया है कि डिजिलॉकर के सभी दस्तावेज कानूनी रूप से वैध और स्वीकार्य हैं। कृपया यूजीसी की वेबसाइट पर जाएं और दिनांक 05.01.2022 को जारी नोटिस को देखें। जहां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों /कॉलेजों और संस्थानों को डिजिलॉकर में उपलब्ध सभी दस्तावेजों को स्वीकार करने का निर्देश दिया है।

प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने सीबीएसई के स्पष्ट जवाब देने से आशा जताई है कि झारखंड सहित अन्य राज्यों के छात्र- छात्राओं ने जिस भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश लिया है, वहां के प्रबंधन अब उन्हें इस संबंध में परेशान नहीं करेंगे। डिजीलॉकर के सभी दस्तावेजों को मान्य होने से छात्र-छात्राएं अब बिना किसी संशय के अपनी पढ़ाई और कैरियर पर ध्यान केंद्रित कर पाएंग।

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