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चित्रांश परिवार की एकता की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा संगत-पंगत

बिहार पटना सिटी: चित्रांश परिवार की एकता की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा संगत-पंगत। यह बातें रविवार को नजर घाट स्थित श्री चित्रगुप्त आदि मंदिर में पूर्व सांसद डा. आरके सिन्हा ने कही। उन्होंने संगत पंगत के संबंध में जानकारी दी। संगीतकार सृष्टि सिन्हा व मनीष श्रीवास्तव ने संगीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन अरविंद सिन्हा व सुनील सिन्हा ने किया। संगत पंगत की राष्ट्रीय संयोजिका रत्ना सिन्हा ने सहयोग राशि का वितरण प्रस्तुत की। बिहार बार काउंसिल के सदस्य चुने जाने पर पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता योगेंद्र चंद्र वर्मा व जितेंद्र नारायण सिन्हा को सम्मानित किया गया। इस मौके पर सुरक्षा समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन श्रीवास्तव व पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने पूर्व राज्यसभा सांसद डा.आरके सिन्हा जी को अंग वस्त्र से सम्मानित किया। संगत पगत कार्यक्रम में श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि कायस्थ समाज में पैदा हुए विभिन्न क्षेत्रों के महापुरुष (मसलन) साहित्य मुंशी प्रेमचंद, स्वतंत्रता आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस, आध्यात्म मैं स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद, राजनीतिक में राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर शास्त्री, क्रांतिकारी में गणेश शंकर विद्यार्थी और खुदीराम बोस आदि) की चर्चा तो खूब होती है। कायस्थ समाज और नेता उनके नाम को दोहरा-दोहराकर कर अपनी पीठ ठोकते रहते हैं। लेकिन कायस्थ समाज में जो कमियां कमजोरी और नाकामियां हैं, उनकी चर्चा काम ही सुनने को मिलती है। मैं समझता हूं कि जब तक समाज इन बुराइयों से मुक्त नहीं होगी, गौरवशाली इतिहास को दोहराने भर से समाज का भला नही हो सकती। समाज में तो कई बुराइयां हैं, लेकिन मैं मुख्य रूप से दो गंभीर समस्याओं पर चर्चा करना चाहूंगी। कायस्थो में सबसे बड़ी समस्या दहेज की है। बेटियों की शादी इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि मां-बाप के पास देने के लिए दहेज नहीं होती। किसी तरह उधार लेकर, जमीन बेचकर, मकान गिरवी रखकर अगर बेटी की शादी हो जाए तो परिवार की कमर टूट जाती है। पूरी जिंदगी वे लोग कर्ज चुकाने में ही लगे रह जाते हैं। अब कायस्थ परिवारों के पास ना तो जमींदारी है और न कारोबार। जो कुछ भी बचा-खुचा है, वह है नौकरी। ऐसे में बेटियों की शादी में तिलक-दहेज का पैसा जुटाना काफी मुश्किल है। समाज की हालत ऐसी है कि दिन-ब-दिन दहेज की समस्या घटना के बजाय बढ़ती जा रही है। श्रीमती सिन्हा ने आगे कहा कि मैं समाज के पढ़े-लिखे युवाओं से अपील करती हूं कि वे शपथ लेकि दहेज नहीं लेंगे और इस रिवाज का पूरी तरह विरोध करेंगे। जब तक युवा आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक इस समस्या का हल नहीं होगा। यह समस्या दूर होगी तो समाज आगे बढ़ पाएगा। कायस्थ समाज में दूसरी बड़ी समस्या बेरोजगारी है। इस समुदाय में पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। प्रतियोगिताओं में बैठने जाईए, रोजगार के लिए चक्कर लगाते रहिए। कहीं कोई काम बना तो ठीक, वरना महीना (कभी-कभी बरसो) यूं ही भटकते रहिए। पहले सरकारी नौकरियां कायस्थ समाज की बपौती मानी जाती थी। इस समुदाय का बच्चा पढ-लिखकर तैयार होगा, तो उसे सरकारी नौकरी तो मिल ही जाएगी, लेकिन आरक्षण के बाद स्थितियां बदली और सरकारी नौकरियों में कायस्थों की संख्या काफी कम हो गई। कायस्थ युवाओं को जरूरत है कि बेखुद का काम करें और नौकरी पाने की इच्छा रखने के बजाय नौकरी देने वाला बनने की इच्छा रखें। वे यह काम बखूबी कर सकते हैं। सुनहरे कल के लिए खुद को कायस्थ को बदलने की आवश्यकता है। यह बात जिस दिन समाज की समझ में आ जाएगी, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ेगा। इस मौके पर सुरक्षा समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन श्रीवास्तव ने कहा कि कायस्थ समाज का ध्वज और पहचान चिन्ह एक हो जो समाज की परंपरा का प्रतिबिम्ब हो। श्री चित्रगुप्त जी महाराज की कथा, पूजन विधि, एवं मंदिरों का प्रसार- प्रसार हो। जिससे श्री चित्रगुप्त जी महाराज के महत्व को अन्य समाज भी समझ सके।

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