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चाईबासा में सिखों ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश उत्सव धूमधाम से मनाया


तिलक कुमार वर्मा/चाईबासा। श्री गुरूग्रंथ साहिब जी का प्रकाश उत्सव चाईबासा गुरूद्वारा नानक साहिब दरबार में दिनांक-04.09.2021 को बड़ी धुम-धाम से मनाया गया। दो दिन पूर्व श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखण्ड पाठ आरभ्भ किया गया था, उसकी समाप्ति आज ग्यारह बजे हुई। श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर ने समूह साध को श्री गुरू ग्रंथ साहिब के प्रकाश उत्सव की लख लख बधाई दी।

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि युगे युगे अटल जागृत ज्योति तथा प्रत्यक्ष गुरू श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश श्री हरमंदिर साहिब अमृतसार में हुआ था। उस वक्त सर्वप्रथम ग्रंथी बाबा बुढ़ा जी थे। ग्रंथी बाबा बुढ़ा जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी जो पहला वाक (शब्द) लिया था वह था ” संता के कारज आप खलोया, हर काम करावना आया राम”। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का मूल मंत्र ” जिन प्रेम कियों मिन ही प्रभु पायो” तथा ” मानसा की जात एक ही पहचानबे” ही है। आपसी प्रेम और भाईचारा तथा प्रभु का सिमरन ही जीवन का पहला कत्तव्य है।

मानव जीवन अनमोल है इसलिए इसे व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए मानव सेवा तथा नेक कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। श्री गुरु ग्रंथ साहिब सिर्फ सिखों का ही नहीं है इसका आदर सात्कर विश्व में किया जाता है। सिख धर्म का आधार आपसी भाईचारा, साम्प्रादायिक सौहार्द, सदभावना सहनशीलता है। अध्यक्ष ने पुनः एक बार समुह साध संगत को लाख-लाख बधाई दी। गुरुद्वारा साहिब के निर्माण कार्य के लिए दान देने की अपील की। इसके उपरांन्त छोटे-छोटे बच्चें बच्चियों ने शब्द कीर्त्तन किया। जमशेदपुर से आये कीर्त्तन जत्था के बीबी रविंदर कौर एवं उनके साथियों ने अपनी मधूर आवाज एवं संगीत के साथ कीर्त्तन करके सभी का मन मोह लिया। चाईबासा गुरुद्वारा के ग्रंथी जी ने अरदास की तथा समुह साध संगत को प्रकाश उत्सव की बधाई दी। इस प्रकाश उत्सव में चाईबासा, झींकपानी, केन्दपोसी राजखरसाँवा, केशरगड़िया की साध संगत ने अपनी हाजिरियाँ भरी तथा गुरू पर्व जोशो-खरोश के साथ मनाया । इस प्रकाश उत्सव को सम्पूर्ण कराने में दलविंदर सिंह बलजीत सिंह खोखर, लखबीर सिंह (राजा) गगनद्वीप सिंह वालिया रौनक सिंह खोखर का सराहनीय योगदान रहा। अंत में गुरू का लंगर बरताया गया जिसमें उपस्थित सभी धर्माबलम्बियों ने लंगर ग्रहण किया। इसी तरह पिछले दो दिनों से चल रहे इस प्रकाश उत्सव का समापन हुआ। रात्रि सात बजे से आठ बजे तक स्त्री सत्संग सभा द्वारा शब्द कीर्त्तन किया गया। तदोपरांत अरदास एवं लंगर बरताया गया।

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