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चाईबासा के सायतवा वन क्षेत्र, बरकेला में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया

सामूहिक और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है की हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, उसे बनाए रखने और उसकी रक्षा करे -शंकर भगत 

जमशेदपुर । वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अंतर्गत कोल्हान वन प्रमंडल, चाईबासा के सायतवा वन क्षेत्र, बरकेला में आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया । इस अवसर पर साइकिल रैली, वृक्षारोपण व फलदार पौधे बाटे गए एवं पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस  2023 की शुरूआत साइकिल रैली से की गई। साइकिल रैली को सायतवा वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री शंकर भगत व दोपाई पंचायत के मुखिया के द्वारा हरी झंडी दिखा कर रवाना की गई। साइकिल रैली का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को स्वच्छ रखने की संदेश दी गई है। यह रैली बच्चमहातु गांव से पूर्णिया मध्य विद्यालय तक गई। इस रैली में प्राथमिक उपचार एवं पानी की व्यवस्था रैली की साथ साथ थी। 

                 इस अवसर पर वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री अभिषेक भूषण ने बताया कि हम सभी की सामूहिक और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है की हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, उसे बनाए रखने और उसकी रक्षा करने का दायित्व हम सभी का है। आप अतीत को नहीं बदल सकते हैं लेकिन पर्यावरण को संरक्षित करते हुए आप भविष्य को बदल सकते हैं.

विश्व पर्यावरण दिवस 2023 को ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ विषय के साथ मनाया जा रहा है। मिशन लाइफ का अर्थ ऐसे अभियान से है जिससे पर्यावरण संरक्षण हो. इसमें हर एक इंसान को अपनी जिम्मेदारी समझने की अपील की गई है. छोटे से लेकर बड़े-बड़े काम को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाने की अपील की गई है. प्लास्टिक बैग का ही उदाहण लें. हमें प्लास्टिक की थैली धड़ल्ले से इस्तेमाल करने की आदत लग गई है जो कि हमारी प्रकृति में जहर के समान है. मिशन लाइफ बताता है कि अगर प्लास्टिक छोड़ हम कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें तो बड़े स्तर पर पर्यावरण को बचा सकते हैं. इस वर्ष की थीम बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन है. इस विषय को इसलिए चुना गया है ताकि प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसके वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.  इसी थीम के जागरूकता हेतु कोल्हान वन प्रमंडल, चाईबासा के द्वारा कपड़े के  थैले का वितरण ग्रामीणों के बीच किया गया। मिशन लाइफ योजना के अंतर्गत भी सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग प्रतिबंधित है, इसलिए लोगों से अपील की गई है वे जब भी घर से बाहर सामान लाने के लिए निकले तो अपने साथ कपड़े की थैले अवश्य लेके जाए एवं दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। यह नीतियों और विकल्पों में परिवर्तनकारी बदलावों का आह्वान करता है ताकि प्रकृति के साथ स्वच्छ, हरित और टिकाऊ जीवन को सक्षम बनाया जा सके. यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने की आवश्यकता को बताता है. इस दिन का उद्देश्य पर्यावरण के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों को यह याद दिलाना है कि प्रकृति को हल्के में नहीं लेना चाहिए. इस दिन का उत्सव हमें पर्यावरण को संरक्षित करने और व्यक्तियों, उद्यमों और समुदायों द्वारा एक प्रबुद्ध राय और जिम्मेदार व्यवहार के आधार को व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करता है।  सायतवा वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री शंकर भगत ने अपने संबोधन शुरुआत  ‘मिशन लाइफ‘ से की । जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह ऐसा अभियान है जो हर एक इंसान से सीधे तौर पर जुड़ा है. मिशन लाइफ में इस बात पर जोर दिया गया है कि पर्यावरण को हम बचाएंगे, तभी हम भी आगे बच पाएंगे. जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों को देखते हुए इस अभियान की शुरुआत की गई है. मिशन लाइफ न केवल पर्यावरण और जिंदगी बचाने पर केंद्रित है बल्कि इसका सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से भी है। यह हमारी पर्यावरण मानव सभ्यता के विकास का स्तंभ है। यह परिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होती है । इसके अतिरिक्त यह प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ ,सूखा आदि से राहत प्रदान करती है । वास्तव में जैव विविधता प्रकृति की स्वाभाविक संपत्ति है और इसका क्षय एक प्रकार से प्रकृति का क्षय है । अतः प्रकृति को नष्ट होने से बचाने के लिए जैव विविधता को संरक्षण प्रदान करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है । हमारी पृथ्वी को संतुलित रखने के लिए पौधारोपण सबसे बेहतर उपाय हैं उन्होंने आम लोगों से अपील की गई कम से कम प्रत्येक व्यक्ति को 1 महीने में 5 पौधे अवश्य लगाएं।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री मंगल सिंह पिंगुआ के द्वारा दिया गया। उन्होंने बताया कि मिशन लाइफ का अर्थ ऐसे अभियान से है जिससे पर्यावरण संरक्षण हो. इसमें हर एक इंसान को अपनी जिम्मेदारी समझने की अपील की गई है. छोटे से लेकर बड़े-बड़े काम को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाने की अपील की गई है। इस अवसर पर  सायतवा वन क्षेत्र पदाधिकारी श्री शंकर भगत,  कोल्हान वन प्रमंडल के उप परिसर पदाधिकारी व वनकर्मी, दोपाई पंचायत के मुखिया, पूर्णिया पंचायत के मुखिया, वन समितियों के सदस्य व ग्रामीण मौजूद थे।

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